दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को प्रदूषण की बढ़ती समस्या पर गहरी चिंता जताई और इस मुद्दे पर व्यापक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। अपनी प्रेस वार्ता के दौरान राय ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण का समाधान तब संभव है जब सभी राज्य और केंद्र सरकार मिलकर काम करें। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले पांच वर्षों से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने पड़ोसी राज्यों राजस्थान, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश की सरकारों से मुलाकात करने का समय नहीं दिया, जबकि केंद्र में भी भाजपा की सरकार है।
राय ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति नवंबर के महीने में चरम पर पहुंच जाती है। उन्होंने सीएसई के शोध का हवाला देते हुए कहा कि दिल्लीवासियों की प्रदूषण में हिस्सेदारी केवल 31 फीसदी है, जबकि बाकी प्रदूषण बाहर से आता है। इसके साथ ही उन्होंने कृत्रिम वर्षा की जरूरत पर भी जोर दिया। पिछले साल कृत्रिम वर्षा पर चर्चा की गई थी, लेकिन समय की कमी के कारण यह प्रयोग नहीं हो पाया था। इस बार, राय ने कहा कि कृत्रिम वर्षा के प्रयोग को समय से शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
कृत्रिम वर्षा के लिए कई विभागों की अनुमति की आवश्यकता होती है, और राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से इस पर बैठक बुलाने की अपील की। उन्होंने चीन, मलेशिया, और पाकिस्तान के लाहौर जैसे देशों के उदाहरण दिए, जहां कृत्रिम वर्षा और क्लाउड सीडिंग का उपयोग प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किया गया था। राय ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब वे इसके लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखते हैं, तो दिल्ली भाजपा के नेता नाराज हो जाते हैं।
कांग्रेस की आलोचना
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने आप सरकार की शीतकालीन कार्ययोजना की आलोचना की। यादव ने कहा कि यह योजना कागजों पर ही सीमित है और इसे हर साल थोड़े-बहुत बदलाव के साथ लागू किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर यह योजना प्रभावी होती, तो दिल्ली सरकार को सबके सहयोग की जरूरत नहीं पड़ती। यादव ने सुझाव दिया कि यदि राय सबके सहयोग से प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ रहे हैं, तो जलभराव, दिल्ली की सड़कें, जल संकट, और महिलाओं पर अत्याचार जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।
यादव ने सवाल उठाया कि जनता के टैक्स के पैसे खर्च करने के बावजूद दिल्ली सरकार स्वच्छ हवा देने में क्यों असफल रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब का नाम न लेकर राय ने प्रदूषण नियंत्रण में विफलता स्वीकार की है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए व्यापक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया है, जबकि कांग्रेस ने आप सरकार की शीतकालीन योजनाओं पर सवाल उठाए हैं। क्या दिल्ली में प्रदूषण का समाधान संभव है? यह सवाल अब भी अनसुलझा है, और समाधान की दिशा में सभी को मिलकर काम करना होगा।
दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर समस्या को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि समाधान की दिशा में सामूहिक प्रयास अनिवार्य हैं। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए व्यापक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया है, लेकिन केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी इस दिशा में एक बड़ी बाधा बन रही है। कृत्रिम वर्षा जैसे उपायों पर चर्चा और उनके कार्यान्वयन में हो रही देरी चिंता का विषय है।
कांग्रेस की आलोचनाओं ने यह भी उजागर किया है कि केवल योजनाओं के कागज पर रह जाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। यदि आप सरकार वास्तव में प्रदूषण से निपटने में गंभीर है, तो उसे ठोस और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
समाधान के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण, जिसमें सभी संबंधित पक्षों की भागीदारी हो, ही दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इस दिशा में उठाए गए हर कदम को समय पर और सही तरीके से लागू करने की जरूरत है ताकि दिल्लीवासियों को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिल सके।
Source- दैनिक जागरण