मंगल के चुंबकीय क्षेत्र का रात में प्रभाव नगण्य: भारतीय वैज्ञानिकों का अध्ययन

saurabh pandey
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भारतीय वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन के माध्यम से खुलासा किया है कि मंगल के चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव दिन के समय अत्यधिक मजबूत होता है, लेकिन रात में इसका प्रभाव लगभग नगण्य हो जाता है। यह अध्ययन मंगल ग्रह पर चुंबकीय क्षेत्र की विशेषताओं और उनके आयनमंडल पर प्रभावों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव

वैज्ञानिकों ने पाया कि मंगल के दक्षिणी गोलार्ध में चुंबकीय क्षेत्र दिन के समय आयनमंडल को दृढ़ता से नियंत्रित करता है। हालांकि, रात के समय, क्रस्टल चुंबकीय क्षेत्र अपना नियंत्रण खो देता है, जिससे आयनमंडल पर इसका प्रभाव कम हो जाता है। यह प्रभाव सूर्य-मंगल की दूरी से अप्रभावित रहता है।

संबंधित जानकारी

मंगल ग्रह का अपना चुंबकीय क्षेत्र नहीं है, लेकिन इसके पास कुछ क्षेत्रों में चुंबकीय क्षेत्र होते हैं। ये चुंबकीय क्षेत्र विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्ध में पाए जाते हैं, जिनका प्रभाव 30 दक्षिण अक्षांश और 120 पूर्व से 240 पूर्व देशांतर के क्षेत्र में देखा गया है। मंगल पर चुंबकीय क्षेत्र के अध्ययन के लिए, वैज्ञानिकों ने MAVEN (मंगल वायुमंडल और वाष्पशील विकास) उपग्रह से लगभग आठ वर्षों के इलेक्ट्रॉन घनत्व और चुंबकीय क्षेत्र के डेटा का उपयोग किया।

डायनेमो प्रभाव

वैज्ञानिकों का कहना है कि चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति के लिए डायनेमो प्रभाव आवश्यक है। डायनेमो ग्रहों के केंद्र में पिघली हुई धातुओं के प्रवाह के कारण उत्पन्न विद्युत प्रभाव है, जो चुंबकीय क्षेत्र को जनरेट करता है। पृथ्वी पर यह प्रभाव कम्पास की सुई को उत्तर की ओर इंगित करता है, लेकिन मंगल पर यह प्रभाव अरबों साल पहले समाप्त हो गया था।

भविष्य के अनुसंधान और मिशन

यह अध्ययन भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह मंगल के चुंबकीय क्षेत्र के दिन-रात के प्रभावों को समझने में मदद करता है। NASA का MAVEN उपग्रह इस समय मंगल की परिक्रमा कर रहा है और इस प्रकार के डेटा संग्रह से मंगल के वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र पर नए दृष्टिकोण प्रदान किए जा सकते हैं।

भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किया गया यह अध्ययन मंगल के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभावों को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अध्ययन मंगल के चुंबकीय क्षेत्र की विशेषताओं और उनके आयनमंडल पर प्रभाव को स्पष्ट करता है, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और अनुसंधान के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।

भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किया गया अध्ययन मंगल के चुंबकीय क्षेत्र के दिन और रात में प्रभाव को स्पष्ट करता है। शोध ने दिखाया कि मंगल के दक्षिणी गोलार्ध में चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव दिन के समय अत्यधिक मजबूत होता है, लेकिन रात के समय इसका प्रभाव लगभग नगण्य हो जाता है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मंगल के आयनमंडल पर चुंबकीय क्षेत्र के बदलते प्रभावों को समझने में सहायता करता है। डायनेमो प्रभाव की कमी के कारण, मंगल का चुंबकीय क्षेत्र अरबों साल पहले समाप्त हो गया था, लेकिन वर्तमान अध्ययन से प्राप्त डेटा भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। यह अध्ययन मंगल के चुंबकीय क्षेत्र और आयनमंडल के साथ-साथ अंतरिक्ष अनुसंधान में नई दिशा देने में सहायक हो सकता है।

Source- दैनिक जागरण

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