अंतरिक्ष में बढ़ता कचरा: वैश्विक चिंता और इसरो का समाधान

saurabh pandey
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भारत की अंतरिक्ष एजेंसी, इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन), ने पिछले कुछ वर्षों में ऐसी असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं जो न केवल देश के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सराहनीय हैं। परंतु, अंतरिक्ष में बढ़ता कचरा आज एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है, और इस मुद्दे पर इसरो की पहल को देखकर दुनिया को सीख लेनी चाहिए।

पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का आयोजन

पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियों की सराहना की और इसरो के प्रयासों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि यह भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है। इसरो ने 2030 तक अपने सभी अंतरिक्ष मिशनों को कचरा मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है, जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

इस आयोजन में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ, और कई इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के साथ-साथ अंतरिक्ष उद्योग के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। चंद्रयान-3 की सफलता की पहली वर्षगांठ पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसे यादगार बनाने के लिए इस तिथि को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।

अंतरिक्ष में कचरे की समस्या और इसरो का समाधान

अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे की समस्या आज एक वैश्विक चुनौती बन गई है। अनगिनत उपग्रहों, रॉकेटों, और अन्य उपकरणों के लांच के बाद, पृथ्वी की कक्षा में बड़ी मात्रा में मलबा जमा हो गया है। यह मलबा आने वाले मिशनों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है, क्योंकि उच्च गति से घूमता हुआ यह कचरा सक्रिय उपग्रहों और अंतरिक्ष यान को नुकसान पहुंचा सकता है। इस संदर्भ में, इसरो का कचरा मुक्त मिशन का संकल्प एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसे वैश्विक स्तर पर अपनाया जाना चाहिए।

इसरो की असाधारण उपलब्धियां

इसरो की उपलब्धियों की बात करें तो चंद्रयान-3 मिशन की सफलता न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इसरो ने एक नया इतिहास रच दिया। इस मिशन की सफलता के पीछे इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की वर्षों की कड़ी मेहनत है। राष्ट्रपति मुर्मू ने भी इस मिशन की तारीफ करते हुए इसे दुनिया के लिए प्रेरणा स्रोत बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर पर अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता ने भारतीय वैज्ञानिकों और युवाओं की अदम्य इच्छाशक्ति को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि इस मिशन ने अंतरिक्ष में भारत के वर्चस्व को साबित किया है।

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का विकास

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्तमान में तेजी से विकास कर रही है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में यह अर्थव्यवस्था आठ अरब डॉलर की है, और अगले 10 वर्षों में इसे 44-45 अरब डॉलर तक पहुंचाने की योजना है। इसरो की उपलब्धियों और सरकार की नीतियों के चलते, भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अब एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जहां अनगिनत स्टार्ट-अप्स और निजी कंपनियां उभर रही हैं। यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहा है, बल्कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी भारत को अग्रणी बना रहा है।

चंद्रयान-3 मिशन के डेटा का वैश्विक शोधकर्ताओं के लिए खुलासा

इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन से एकत्र किए गए डेटा को दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए जारी किया है। इस डेटा को भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डेटा केंद्र के पोर्टल पर उपलब्ध कराया गया है, जिससे वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को इस महत्वपूर्ण मिशन के निष्कर्षों का अध्ययन करने का अवसर मिल सके। यह कदम भारत की वैज्ञानिक साझेदारी को और मजबूत करेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख को और बढ़ाएगा।

भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियां न केवल देश की वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मिसाल पेश करती हैं। इसरो का कचरा मुक्त मिशनों का संकल्प और अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी से उत्पन्न नई क्रांति, भारत को एक अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करने में सहायक होगी। आने वाले समय में, इसरो की इन पहलों से न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया को लाभ मिलेगा, और अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे की समस्या का समाधान भी संभव होगा।

source- दैनिक जागरण

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