राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पंजाब सरकार पर ठोस कचरा प्रबंधन और सीवेज उपचार में लापरवाही के लिए 1026 करोड़ रुपये का ‘पर्यावरणीय हर्जाना’ लगाया है। यह राशि एक महीने के भीतर जमा करने का आदेश दिया गया है। साथ ही, एनजीटी ने पंजाब में ठोस कचरा प्रबंधन की अब तक की गतिविधियों की विस्तृत रिपोर्ट भी पेश करने के निर्देश दिए हैं।
लापरवाही की गंभीरता:
एनजीटी ने पंजाब सरकार की ओर से ठोस कचरे और सीवेज ट्रीटमेंट की धीमी गति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। पंजाब में अभी भी 53.87 लाख टन पुराना कचरा पड़ा हुआ है, जबकि दो साल पहले यह आंकड़ा 66.66 लाख टन था। पिछले दो वर्षों में कचरे के निपटान की गति बहुत धीमी रही है, जिससे अनुमानित है कि बचे हुए कचरे को निपटाने में करीब 10 साल लग सकते हैं। एनजीटी ने यह भी कहा कि इस स्थिति का सुधार तत्काल आवश्यक है।
सीवेज उपचार की स्थिति:
सितंबर 2023 तक राज्य में रोजाना 2212 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) सीवेज उत्पन्न हो रहा था, जबकि केवल 1885.42 एमएलडी सीवेज का उपचार किया जा रहा था। जून 2024 में सीवेज उत्पादन में मामूली वृद्धि के बावजूद, उपचार की दर भी धीमी रही है। इससे यह स्पष्ट है कि सीवेज उपचार में भी पर्याप्त प्रगति नहीं हो पाई है।
मुख्य सचिव और नगर निगम विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस:
एनजीटी ने पंजाब के मुख्य सचिव और नगर निगम विभाग के प्रमुख सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्हें यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि आदेश का पालन न करने पर उनके खिलाफ जल अधिनियम 1974 के तहत मुकदमा क्यों न चलाया जाए। उन्हें एक महीने के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
पर्यावरणीय संकट और अपेक्षित सुधार:
एनजीटी का यह आदेश पंजाब सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि पर्यावरणीय मुद्दों को गंभीरता से लिया जाए और त्वरित सुधारात्मक कदम उठाए जाएं। ठोस कचरा प्रबंधन और सीवेज उपचार में सुधार न केवल राज्य के पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए आवश्यक है, बल्कि इसके स्वास्थ्य और स्वच्छता पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
एनजीटी द्वारा पंजाब सरकार पर 1026 करोड़ रुपये का ‘पर्यावरणीय हर्जाना’ लगाने का निर्णय राज्य में ठोस कचरा प्रबंधन और सीवेज उपचार की गंभीर स्थिति को उजागर करता है। यह हर्जाना और नोटिस मुख्य सचिव व नगर निगम विभाग के प्रमुख सचिव के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि वे तत्काल सुधारात्मक उपाय लागू करें। कचरे और सीवेज के निपटान में तेजी लाने की आवश्यकता है, ताकि पर्यावरणीय संकट को नियंत्रित किया जा सके और राज्य के नागरिकों की स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थिति में सुधार किया जा सके। इस मामले में जल्द और प्रभावी कार्रवाई न केवल पंजाब के पर्यावरण को संरक्षित करेगी, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करेगी।
Source- दैनिक जागरण