पुणे के अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई) के शोधकर्ताओं ने फंगल इंफेक्शन के इलाज के लिए एक नई दवा विकसित की है। यह दवा केवल पल्मोनरी एस्परगिलोसिस, सिस्टिक फाइब्रोसिस और अस्थमा जैसी फेफड़ों की बीमारियों के उपचार में सहायक नहीं है, बल्कि यह कैंसर, एचआईवी और कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं का उपयोग करने वाले मरीजों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने इस नई दवा में पॉलीमेरिक नैनोपार्टिकल्स का उपयोग किया है, जो फार्मास्यूटिकल्स के नियंत्रित और प्रभावी वितरण के लिए एक उन्नत तकनीक मानी जाती है। यह दवा न केवल फंगल झिल्ली को लक्षित करती है, बल्कि मौजूदा एंटीफंगल उपचारों के प्रति प्रतिरोध को भी दूर करती है।
इस दवा में निकोमाइसिन लोडेड नैनोपार्टिकल्स का उपयोग किया गया है, जो चिटिन संश्लेषण का अवरोधक है। चिटिन फंगल कोशिका भित्ति का एक महत्वपूर्ण घटक होता है, और यह दवा एस्परगिलस प्रजातियों के विकास को रोकने में सक्षम है, जो एस्परगिलोसिस का कारण बनती हैं।
एआरआई की टीम के अनुसार, यह नैनोफॉर्मूलेशन पूरी तरह से सुरक्षित है और इसमें किसी प्रकार का साइटोटॉक्सिक या हेमोलिटिक प्रभाव नहीं पाया गया है। अध्ययन की प्रमुख लेखिका, डॉ. बंदना घोरमाडे और कमल मायाट्टू ने बताया कि इस दवा के व्यावसायीकरण के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी एक महत्वपूर्ण कदम होगी, जिससे इसकी पहुँच और प्रभावकारिता को बढ़ाया जा सकेगा।
फंगल संक्रमण से प्रभावित व्यक्तियों के लिए यह नई दवा एक आशाजनक विकल्प साबित हो सकती है, और इसके व्यापक उपयोग से फंगल बीमारियों पर काबू पाने में मदद मिल सकती है।
नवीन दवा से फंगल इंफेक्शन पर संभावित सफलता की उम्मीद
पुणे के अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित की गई नई दवा, जो पॉलीमेरिक नैनोपार्टिकल्स का उपयोग करती है, फंगल इंफेक्शन के इलाज में एक महत्वपूर्ण प्रगति साबित हो सकती है। यह दवा केवल पल्मोनरी एस्परगिलोसिस, सिस्टिक फाइब्रोसिस और अस्थमा जैसी फेफड़ों की बीमारियों के उपचार में सहायक नहीं है, बल्कि यह कैंसर, एचआईवी और कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं का उपयोग करने वाले मरीजों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। निकोमाइसिन लोडेड नैनोपार्टिकल्स की विशेषता इसे मौजूदा एंटीफंगल दवाओं के प्रति प्रतिरोध को दूर करने में सक्षम बनाती है। इस दवा की सुरक्षा और प्रभावशीलता के सकारात्मक परिणाम, इसके व्यावसायीकरण के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी की संभावनाओं को उजागर करते हैं। यह नवाचार फंगल संक्रमण के इलाज में एक नई उम्मीद और राहत प्रदान कर सकता है।
Source- दैनिक जागरण