बदरीनाथ धाम के रास्ते में लामबगड़ नाला: एक गंभीर चुनौती

saurabh pandey
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बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ नाला एक गंभीर चुनौती बन गया है। हाल ही में, भूस्खलन क्षेत्र के स्थायी उपचार के बावजूद, लामबगड़ नाला का मामला अभी भी समाधान की प्रतीक्षा कर रहा है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने नाले के स्थायी उपचार के लिए एक नई कार्ययोजना तैयार करने की योजना बनाई है।

भूस्खलन और नाला: समस्या का एक पुराना इतिहास

1980 के दशक से बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ भूस्खलन क्षेत्र सक्रिय है। यहाँ तक कि बारिश के बिना भी पत्थरों की बारिश होती रहती है। वर्ष 2013 की आपदा में, हाईवे का 500 मीटर हिस्सा उफनती अलकनंदा नदी में समा गया था। चमोली जिले में मानसून के मौसम में लामबगड़ नाला अक्सर मलबे के कारण अवरुद्ध हो जाता है।

2014 में, सिंचाई विभाग ने भूस्खलन क्षेत्र के उपचार के लिए अलकनंदा नदी के किनारे चेकडैम बनाकर हाईवे को बचाने की कोशिश की थी, लेकिन बरसात में यह सब बह गया। इस स्थिति को देखते हुए, सरकार ने स्थायी उपचार की योजना बनाई है।

नई कार्ययोजना: नाले के स्थायी उपचार के प्रयास

करीब 99 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई कार्ययोजना दो भागों में बांटी गई है। पहले हिस्से में नाले पर एक पुल का निर्माण किया जाएगा, जबकि दूसरे हिस्से में सड़क के कटाव को रोकने के लिए आरसीसी दीवार बनाई जाएगी। इसके अतिरिक्त, पुल की सुरक्षा के उपाय भी किए जाएंगे।

इस बीच, बीआरओ ने 2019 में भूस्खलन जोन से सटे लामबगड़ नाले को स्थायी उपचार के दायरे में नहीं लिया था, जिससे समस्या बढ़ती जा रही है। एनएच लोक निर्माण विभाग की शाखा के अनुसार, उस समय स्थायी उपचार की योजना केवल भूस्खलन जोन के लिए बनाई गई थी, जिसमें नदी के किनारे दीवारें बनाना और सड़क चौड़ी करना शामिल था।

हालांकि, लामबगड़ नाले का ट्रीटमेंट न होने से बरसात के मौसम में आवाजाही खतरनाक हो जाती है। इस यात्रा सीजन में, हाईवे लामबगड़ नाले में 30 घंटे से अधिक समय तक बंद रहा। बीआरओ ने पिछले दस सालों में नाले की स्थिति का अध्ययन किया है और इसके आधार पर पुल का प्रस्ताव रखा है।

भविष्य की दिशा

अभी तक, हाईवे के लामबगड़ नाले के आसपास सौ मीटर के दायरे में क्षति को चिह्नित किया जा चुका है। नाले में पानी की निकासी के लिए ह्यूम पाइप लगाए गए हैं, लेकिन बरसात के बाद जलस्तर बढ़ने और हिमखंड टूटने से ये पाइप भी बंद हो जाते हैं। बीआरओ की नई कार्ययोजना और स्थायी उपचार के प्रयासों से उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में इस समस्या का समाधान हो सकेगा और यात्रा सुरक्षित रहेगी।

लामबगड़ नाला बदरीनाथ हाईवे पर एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समस्या बन गया है। भूस्खलन के स्थायी उपचार के बावजूद, नाले का अव्यवस्थित प्रवाह और मलबे का जमाव यात्रा की सुरक्षा को खतरे में डालता है। वर्तमान में, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा प्रस्तावित नई कार्ययोजना, जिसमें पुल निर्माण और आरसीसी दीवारों का निर्माण शामिल है, इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न केवल नाले के कटाव को रोकने में मदद करेगी बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगी।

भविष्य में, यदि इस कार्ययोजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है, तो लामबगड़ नाला के कारण होने वाली समस्याओं में महत्वपूर्ण कमी आ सकती है। साथ ही, बदरीनाथ हाईवे पर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए सुरक्षित और निर्बाध यात्रा की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। इस दिशा में किए गए प्रयास स्थानीय प्रशासन की तत्परता और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, जो इस महत्वपूर्ण मार्ग की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं।

Source- दैनिक जागरण

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