छह अस्पतालों में मिलेगा मंकीपॉक्स का इलाज, बनाए जाएंगे आइसोलेशन वार्ड

saurabh pandey
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नई दिल्ली: दिल्ली के छह प्रमुख अस्पतालों में अब मंकीपॉक्स के इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी। इन अस्पतालों में केंद्र सरकार के अधीन एम्स, सफदरजंग, आरएमएल अस्पताल और दिल्ली सरकार के लोकनायक, जीटीबी और अंबेडकर अस्पताल शामिल हैं। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इन अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाने और कुल 40 बेड आरक्षित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, एम्स ने इमरजेंसी में मरीजों की जांच और इलाज के लिए ऑपरेटिंग स्टैंडर्ड प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया है और अस्पताल के एबी 7 वार्ड में पांच बेड आरक्षित किए गए हैं।

एम्स और सफदरजंग अस्पताल की भूमिका

एम्स की ओर से जारी एओपी के अनुसार, सफदरजंग अस्पताल को मंकीपॉक्स के मामलों के लिए रेफरल अस्पताल बनाया गया है। मंकीपॉक्स की पुष्टि होने पर मरीज को सफदरजंग अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा। मंकीपॉक्स के लक्षणों वाली इमरजेंसी के मामलों में मरीजों की स्क्रीनिंग की जाएगी और उन्हें एबी-7 वार्ड में भर्ती किया जाएगा। संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज करने वाले डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पीपीई किट का इस्तेमाल करेंगे और मरीज के संपर्क में आए लोगों की पूरी जानकारी इकट्ठा की जाएगी।

आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था

लोकनायक अस्पताल में 20 बेड होंगे और यह नोडल अस्पताल के रूप में काम करेगा। जीटीबी और अंबेडकर अस्पताल में 10-10 आइसोलेशन वार्ड बनाए जाएंगे। सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि “95 से 98 फीसदी मरीज आसानी से ठीक हो जाते हैं। मरीज को ठीक होने में दो से चार हफ्ते का समय लग सकता है। इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत कम है और मौतें आमतौर पर निमोनिया या किसी अन्य संक्रमण के कारण होती हैं।”

मंकीपॉक्स का इतिहास और वर्तमान स्थिति

साल 2022 में दिल्ली में मंकीपॉक्स का मामला सामने आया था, इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को वैश्विक आपातकाल घोषित किया था। इस साल अब तक 26 देशों में 934 मामले सामने आ चुके हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। मंकीपॉक्स, चेचक जैसी बीमारी है और सबसे पहले 1970 में अफ्रीकी देश कांगो में इंसानों में पाया गया था। इसके बाद कई देशों में इसका संक्रमण फैल चुका है।

दिल्ली के छह अस्पतालों में मंकीपॉक्स के इलाज की सुविधा और आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था इस बीमारी के प्रति सतर्कता और प्रभावी प्रतिक्रिया को दर्शाती है। स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों के द्वारा की गई तैयारियां मरीजों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी इलाज सुनिश्चित करेंगी।

Source- दैनिक जागरण

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