गंगोत्री-गोमुख ट्रेक पर पर्यटकों की आवाजाही 4 जुलाई से पूरी तरह से ठप हो गई है। ट्रेक के कई हिस्सों पर व्यापक क्षति आई है और भोजवासा तक पांच पुलिया बह गई हैं, जिससे यात्रा पूरी तरह से अवरुद्ध हो गई है।
गंगोत्री से चीरवासा, भोजवासा, गोमुख, तपोवन, नंदनवन और वासुकीताल तक का ट्रेक कई स्थानों पर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। अत्यधिक बारिश और प्रतिकूल मौसम के कारण गंगोत्री-गोमुख ट्रेक की पूरी तरह से जांच नहीं हो पाई है। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान प्रशासन को कुछ स्थानों पर ट्रैक की क्षति की जानकारी है, लेकिन ट्रेक के सामान्य होने में समय लग सकता है।
यह ट्रेक पर्यटकों और पर्वतारोहियों के बीच बेहद लोकप्रिय है। गंगोत्री से गोमुख तक 19 किमी और गोमुख से पांच किमी की यात्रा करनी होती है। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से इस ट्रेक पर यात्रा की संभावनाएँ पूरी तरह से समाप्त हो गई हैं। जुलाई में, चीड़वासा गदेरे में उफान आ गया था, जिसमें दो कांवड़ यात्री बह गए थे, जिनका अभी तक कोई पता नहीं चला है।
वर्तमान में, गंगोत्री-गोमुख ट्रेक पर भोजवासा पड़ाव की स्थिति भी गंभीर है। भारी बारिश के कारण हमक्या, देवगाड़, भोजगढ़ी और भोजवासा नाले की पुलिया बह गई हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क प्रशासन के अनुसार, इन स्थानों पर ट्रैक की स्थिति अत्यंत खराब है और पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई है।
इस वर्ष पार्क के गेट 1 अप्रैल को खोले गए थे, और 4 जुलाई तक 6,309 पर्यटक गोमुख-तपोवन की यात्रा पर आए थे, जिससे सरकार को 10 लाख रुपये से अधिक की आय प्राप्त हुई थी। लेकिन, वर्तमान में ट्रेक की मरम्मत और सामान्य स्थिति में लौटने की प्रक्रिया मौसम के अनुकूल होने के बाद ही शुरू हो सकेगी। फिलहाल, ट्रेक के चालू होने की कोई निश्चित तारीख नहीं है।
गंगोत्री-गोमुख ट्रेक पर मौजूदा स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। 4 जुलाई के बाद से पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई है, और ट्रेक के विभिन्न हिस्सों पर व्यापक क्षति हुई है। पुलिया बह जाने और ट्रेक के कई हिस्सों के क्षतिग्रस्त होने के कारण यात्रा पूरी तरह से प्रभावित हुई है।
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान प्रशासन को क्षतिग्रस्त ट्रेक की स्थिति का पता है, लेकिन मरम्मत का कार्य मौसम के अनुकूल होने के बाद ही शुरू किया जा सकेगा। इस बीच, पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है, और ट्रेक के फिर से चालू होने की तारीख अभी तक निश्चित नहीं की जा सकती है।
यह स्थिति गंगोत्री-गोमुख ट्रेक की स्थिति और भविष्य में उसकी बहाली के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है। भविष्य में ट्रेक की सुरक्षा और मरम्मत की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि ऐसी समस्याओं से बचा जा सके और पर्यटन गतिविधियाँ सुचारू रूप से संचालित हो सकें।
Source- दैनिक जागरण