केंद्र सरकार ने पुष्टि की है कि फिलहाल भारत में मंकीपॉक्स का एक भी मामला सामने नहीं आया है। हालांकि, सरकार ने इस संक्रामक रोग के प्रति सतर्कता बढ़ाने और निगरानी तंत्र को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने एमपीएक्स को लेकर तैयारियों और इसके संभावित प्रसार की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें उन्होंने स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात कही।
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी के बाद सतर्कता:
पिछले सप्ताह, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था। इस चेतावनी के बाद भारत में भी सरकार ने इस बीमारी के संभावित प्रसार के लिए तैयारी बढ़ा दी है। हालांकि, मौजूदा आकलन के अनुसार, भारत में इस बीमारी के बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा कम है।
तैयारियों का आकलन:
प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी इस स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं। देशभर में 32 लैब्स को इस बीमारी की जांच के लिए उपयुक्त बनाया गया है और संक्रमण की पहचान के लिए निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जा रहा है। इसके साथ ही, संक्रमण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान भी चलाया जा रहा है।
संक्रमण के तरीके और लक्षण:
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि एमपीएक्स का संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने से होता है। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के खून, मवाद या संक्रमित कपड़े के संपर्क में आने से फैल सकता है। इसके लक्षणों में बुखार और त्वचा पर काले छाले शामिल हैं, जो आमतौर पर 2-4 सप्ताह में खुद ही ठीक हो जाते हैं।
विश्वभर में स्थिति:
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, अब तक दुनिया भर में एमपीएक्स के 99,176 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 208 मौतें हुई हैं। हालांकि, ज्यादातर मरीज थोड़ी सी चिकित्सा देखभाल से ठीक हो जाते हैं।
भारत में फिलहाल एमपीएक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार इस स्थिति पर सतर्क नजर रख रही है और बीमारी की पहचान और प्रसार को रोकने के लिए तैयारियों को बढ़ा रही है। एमपीएक्स को लेकर जागरूकता बढ़ाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं ताकि संभावित खतरे को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।
Source- दैनिक जागरण