कई ब्रह्मांडों की संभावना को मजबूत करने वाले शोध

saurabh pandey
2 Min Read

ब्रह्मांड के रहस्यों ने हमेशा से वैज्ञानिकों को आकर्षित किया है, और इनमें से एक सबसे पेचीदा पहेली यह है कि क्या हमारा ब्रह्मांड अकेला है या इसके जैसे अन्य ब्रह्मांड (मल्टीवर्स) भी मौजूद हैं। मल्टीवर्स की अवधारणा लंबे समय से टीवी सीरियल और साइंस फिक्शन फिल्मों के लिए एक लोकप्रिय कथानक बिंदु रही है।

हाल ही में, आईआईटी के एक पीएचडी छात्र ने ‘ग्रेविटेशन एंड कॉस्मोलॉजी एंड यूरोफिजिक्स लेटर्स’ में प्रकाशित अपने शोध पत्र में जुड़वां ब्रह्मांड की अवधारणा प्रस्तुत की है। इस शोध के अनुसार, बिग बैंग के दौरान, हर पदार्थ के कण के साथ एक एंटीमैटर कण भी बना, जिससे यह संकेत मिलता है कि हमारे ब्रह्मांड के साथ एक एंटी-ब्रह्मांड भी मौजूद हो सकता है।

अमेरिकी दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स ने 1895 में ‘मल्टीवर्स’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए इस संभावना को उठाया था। हालांकि, आज की बहु ब्रह्मांडों की अवधारणा जेम्स की कल्पना से कहीं अधिक व्यापक है। यह आधुनिक ब्रह्मांड विज्ञान के दो प्रमुख अनसुलझे सवालों का उत्तर देती है – पहला, बिग बैंग से पहले क्या था? और दूसरा, भौतिकी के नियम ऐसे क्यों हैं जैसे हम उन्हें जानते हैं?

पहले सवाल का जवाब यह है कि बिग बैंग अनंत बार हुआ होगा, जिससे एक नए ब्रह्मांड का जन्म हुआ होगा। और इसलिए भौतिकी के नियम भी अनंत हैं। यदि हम मान लें कि ऐसे ब्रह्मांड वास्तव में मौजूद हैं, तो यह संभव है कि वहाँ जीवन भी हो सकता है।

‘समानांतर ब्रह्मांड’ का सिद्धांत, जिसे सबसे पहले 1954 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शोध विद्वान ह्यूग एवरेट ने पेश किया था, इसके सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। उन्होंने कहा था कि हमारे ब्रह्मांड की तरह ही कई अन्य समानांतर ब्रह्मांड भी हो सकते हैं। हाल ही में किए गए शोध ने मल्टीवर्स की अवधारणा को फिर से चर्चा में ला दिया है, और यह वैज्ञानिक दायरे में लाने का एक उल्लेखनीय प्रयास है।

Source- दैनिक जागरण  

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *