सौर ऊर्जा की ओर जर्मनी का रुख: जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में बड़ा कदम

saurabh pandey
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जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जर्मनी में लोग तेजी से जीवाश्म ईंधन के बजाय सौर ऊर्जा का उपयोग करने लगे हैं। लोग अब अपने घरों के बालकनी और आंगनों में भी सौर पैनल लगा रहे हैं, जिससे देश में हरित ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, आजकल जर्मनी के लगभग हर हिस्से में घरों के आंगनों और बालकनी की रेलिंग पर सौर पैनल लगे हुए नजर आते हैं। सरकार द्वारा नियमों को सरल बनाने और सौर तकनीक की कम कीमतों के कारण यह बदलाव संभव हो पाया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से यह बदलाव और भी तेजी से हुआ है, जिससे लोग आसानी से सौर ऊर्जा की ओर बढ़ रहे हैं।

स्वयं सौर पैनल इंस्टालेशन

रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी में लोग खुद ही हल्के सौर पैनल स्थापित कर रहे हैं, जिसमें न तो किसी इलेक्ट्रीशियन की जरूरत होती है और न ही भारी उपकरणों की। राजधानी बर्लिन में आयोजित एक स्थिरता व्यापार मेले में एक नया उपकरण तेजी से लोकप्रिय हुआ, जो आकार में एक छोटे सौर पैनल जैसा था और इसे आसानी से बालकनी की रेलिंग पर लटकाकर स्थापित किया जा सकता था। इसे प्लग करके सीधे घर की बिजली प्रणाली से जोड़ा जा सकता है, जिससे सूर्य की ऊर्जा सीधे घर में उपयोग की जा सकती है।

दैनिक उपयोग के उपकरण चार्ज करना आसान

प्रत्येक छोटे पैनल से इतनी बिजली उत्पन्न होती है कि एक लैपटॉप या छोटा फ्रिज आसानी से चार्ज किया जा सकता है। जर्मनी में यह बड़ा बदलाव तेजी से आकार ले रहा है और इससे हरित क्रांति को और बल मिल रहा है। खास बात यह है कि इसके लिए लोगों को बड़े निवेश की आवश्यकता नहीं है।

बिजली की बढ़ती कीमतें

जर्मनी में बिजली की कीमतों में तेज वृद्धि देखी गई है, जो अब लगभग 25 यूरो सेंट प्रति किलोवाट तक पहुंच गई है—जो यूरोप में सबसे महंगी दरों में से एक है। यही कारण भी है कि जर्मनी में सौर पैनल तेजी से फैल रहे हैं।

यह बदलाव न केवल जर्मनी के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद कर रहा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में जर्मनी को एक मॉडल देश के रूप में स्थापित कर रहा है।

जर्मनी में सौर ऊर्जा की ओर बढ़ता रुझान इस बात का संकेत है कि लोग अब जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। जीवाश्म ईंधन के बजाय सौर ऊर्जा का इस्तेमाल न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि आर्थिक रूप से भी समझदारी भरा है, खासकर बिजली की बढ़ती कीमतों के दौर में। बिना किसी बड़े निवेश के, लोग अपने घरों में सौर पैनल स्थापित कर रहे हैं, जिससे उनकी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिल रही है।

यह बदलाव जर्मनी को न केवल एक हरित ऊर्जा मॉडल के रूप में प्रस्तुत करता है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बनता है। सौर ऊर्जा की यह क्रांति जर्मनी को एक स्थायी और पर्यावरण-मित्र देश के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ भविष्य की नींव रखता है।

Source- अमर उजाला  

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