भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति पर एक हालिया रिपोर्ट ने गंभीर चिंताओं को उजागर किया है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा राज्यसभा में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, देश में दूध और दूध से बने उत्पादों में मिलावट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल द्वारा 6 अगस्त को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट ने यह बताया कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और तमिलनाडु में मिलावट के मामले सबसे अधिक हैं, जो खाद्य सुरक्षा की गंभीर स्थिति को दर्शाते हैं।
उत्तर प्रदेश में मिलावट की भयावह स्थिति
उत्तर प्रदेश में हाल के तीन वर्षों में दूध और दूध से बने उत्पादों की गुणवत्ता पर किए गए 27,750 नमूनों की जांच में से 16,183 नमूने फेल पाए गए हैं। यह आंकड़ा देश में मिलावट की सबसे गंभीर स्थिति को दर्शाता है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में मिलावट के मामलों की संख्या भी सबसे अधिक है, जिनमें 1,928 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। मिलावटखोरी का यह स्तर किडनी और लीवर की बीमारियों के साथ-साथ पेट और शुगर लेवल पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
राजस्थान और तमिलनाडु का हाल
राजस्थान और तमिलनाडु भी मिलावट के मामलों में पीछे नहीं हैं। राजस्थान में 18,264 नमूनों में से 3,565 और तमिलनाडु में 18,146 नमूनों में से 2,237 नमूने फेल हुए हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि इन राज्यों में भी मिलावट की समस्या गंभीर है। पंजाब और केरल में भी दूध की गुणवत्ता में गिरावट देखी गई है, जहां क्रमशः 6,041 और 10,792 नमूनों में से कई फेल हुए हैं।
मिलावट के स्वास्थ्य प्रभाव
चंडीगढ़ के पीजीआई के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की डॉ. पूनम खन्ना ने बताया कि दूध में मिलावट से शरीर पर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव होते हैं। मिलावट में यूरिया, अमोनिया, डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, और माल्टोडेक्सट्रिन जैसे हानिकारक रसायन शामिल होते हैं, जो किडनी, लीवर, और पेट की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, दूध में हाइड्रोजन पेरोक्साइड और फॉर्मेलिन मिलाने से दूध को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की कोशिश की जाती है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
सख्त कार्रवाई की आवश्यकता
मिलावट के मामलों पर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश ने सबसे अधिक कानूनी कदम उठाए हैं, लेकिन अन्य राज्यों में भी मिलावट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। तमिलनाडु, केरल, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी मिलावट के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, और पुडुचेरी में भी दूध के नमूने फेल हुए हैं, लेकिन वहां अभी तक कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ है।
यह रिपोर्ट खाद्य सुरक्षा के प्रति सतर्कता और निगरानी की आवश्यकता को उजागर करती है। मिलावट के खिलाफ सख्त नियम और उनके अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर काम करने की आवश्यकता है ताकि देशभर में दूध और अन्य खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके और लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दूध और दूध से बने उत्पादों में मिलावट की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और तमिलनाडु में मिलावट के मामले सबसे अधिक पाए गए हैं, जो खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं। मिलावट के कारण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जिनमें किडनी, लीवर की बीमारियां और पेट की समस्याएं शामिल हैं।
मिलावट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि सभी राज्य सरकारें और संबंधित अधिकारी प्रभावी निगरानी और कानूनी कदम उठाएं। दूध और अन्य खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए ताकि लोगों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ मिल सकें। इसके साथ ही, सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा के प्रति सतर्कता को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी कदम उठाने की जरूरत है।
समाज के सभी हिस्सों को मिलावट के खिलाफ सजग रहना होगा और एकजुट होकर इस समस्या के समाधान के लिए काम करना होगा ताकि देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।
Source – दैनिक जागरण