पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के वैज्ञानिकों ने 20 साल की कठिन मेहनत और समर्पण के बाद अमेरिकी कपास (नरमा) को प्रभावित करने वाली पत्ती कर्ल बीमारी (CLCU) का समाधान ढूंढ लिया है। यह वायरल बीमारी उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के साथ-साथ पाकिस्तान में भी नरमा की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रही थी। अब इस बीमारी से निपटने की सफलता ने कपास उत्पादक किसानों के लिए एक नई आशा की किरण प्रदान की है।
सफलता की कहानी
पीएयू के कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने वैज्ञानिकों की उपलब्धियों की सराहना की और बताया कि पीएयू ने इस क्षेत्र में एक अनूठी उपलब्धि हासिल की है। इस सफलता को सुनिश्चित करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिकों में कपास प्रजनक डॉ. धर्मिंदर पाठक, प्लांट प्रजनक डॉ. हरीश कुमार, प्लांट पैथोलॉजिस्ट डॉ. अशोक कुमार, वरिष्ठ कीट विज्ञानी डॉ. सतनाम सिंह और डॉ. सुनीत पंधेर शामिल हैं। इन वैज्ञानिकों ने कई उतार-चढ़ाव के बावजूद अपनी मेहनत और लगन को कायम रखा।
नवाचार का आधार
वैज्ञानिकों ने पाया कि गैसिपियम आर्मोरियनम नामक कपास की प्रजाति CLCUD उत्पन्न करने वाले वायरस से लड़ने में सक्षम है। इस प्रजाति को पेड़ की तरह बढ़ने दिया गया और इसके जीन को नरमा में ट्रांसफर किया गया। इस प्रक्रिया के माध्यम से, CLCUD मुक्त नरमा किस्मों को विकसित किया गया है।
भविष्य की योजना
पीएयू अब कपास बीज बनाने वाली 100 से अधिक कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगा, ताकि ये कंपनियां रोग मुक्त बीटी कपास तैयार कर सकें। भारत, पाकिस्तान और चीन मिलकर विश्व के लगभग आधे कपास का उत्पादन करते हैं। पीएयू के वीसी डॉ. गोसल ने कहा कि नई किस्मों का ट्रायल किसानों के खेतों पर किया जाएगा।
लीफ कर्ल रोग का प्रभाव
लीफ कर्ल रोग, फसल की पत्तियों को मुरझा देता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नई खोज से केवल उन बीजों को तैयार किया जाएगा जिन पर इस रोग का असर नहीं होगा।
डॉ. पंकज राठौर की भूमिका
इस महत्वपूर्ण खोज में डॉ. पंकज राठौर की अहम भूमिका रही है। 59 वर्षीय डॉ. राठौर, जो अगले छह महीनों में रिटायर हो रहे हैं, ने अपना पूरा करियर इस शोध को समर्पित किया। उनकी मेहनत और समर्पण ने नरमा की फसलों के लिए एक बड़ी राहत प्रदान की है।
यह उपलब्धि न केवल भारतीय किसानों के लिए एक बड़ा कदम है बल्कि वैश्विक कपास उद्योग में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।
20 वर्षों की अथक मेहनत और समर्पण के बाद, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के वैज्ञानिकों ने अमेरिकी कपास (नरमा) की पत्ती कर्ल बीमारी (CLCU) के इलाज का समाधान खोज लिया है। इस वायरल बीमारी ने उत्तर भारत और पाकिस्तान में कपास की फसलों को गंभीर नुकसान पहुँचाया था। पीएयू की इस सफलता से अब किसानों को राहत मिलेगी, और कपास की फसलों को पहले की तरह अभिशाप नहीं माना जाएगा।
वैज्ञानिकों की टीम ने गैसिपियम आर्मोरियनम नामक प्रजाति के जीन को नरमा में ट्रांसफर कर इस बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधी किस्मों का विकास किया है। इस खोज के आधार पर, पीएयू कपास बीज बनाने वाली कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा, जिससे रोग मुक्त बीटी कपास की आपूर्ति की जाएगी।
इस खोज का असर केवल भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक कपास उद्योग पर भी पड़ सकता है। डॉ. पंकज राठौर जैसे समर्पित वैज्ञानिकों की मेहनत ने न केवल एक गंभीर समस्या का समाधान किया है, बल्कि कपास उत्पादक किसानों के लिए एक नई उम्मीद भी पैदा की है।
Source and data – दैनिक जागरण