बेंगलुरू स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) की नई रिपोर्ट में इस खतरे की चेतावनी दी गई है। अगर उत्सर्जन पर लगाम न लगाई गई तो समुद्र के बढ़ते जलस्तर की वजह से मुंबई में करीब 830 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पानी में डूब जाएगा, जो सदी के अंत तक 1,377.13 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच सकता है।
मुंबई में समुद्र का बढ़ता जलस्तर
CSTEP की रिपोर्ट के अनुसार, 2040 तक समुद्र का बढ़ता जलस्तर मुंबई के 13.1% से अधिक जमीन को निगल जाएगा। यदि उत्सर्जन पर काबू न पाया गया तो मुंबई में करीब 830 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पानी में डूब जाएगा और सदी के अंत तक यह आंकड़ा बढ़कर 1,377.13 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच सकता है। इसी तरह के खतरे अन्य तटीय शहरों पर भी मंडरा रहे हैं।
अन्य तटीय शहरों पर असर
रिपोर्ट में चेन्नई का भी जिक्र किया गया है, जहां अगले 16 वर्षों में 7.3% (86.8 वर्ग किलोमीटर) हिस्सा पानी में डूब सकता है और सदी के अंत तक यह क्षेत्र बढ़कर 18% (215.77 वर्ग किलोमीटर) हो सकता है। यनम और थूथुकुड़ी में भी 2040 तक करीब 10% हिस्सा पानी में डूबने का अनुमान है। पणजी और चेन्नई में यह आंकड़ा 5% से 10% के बीच रह सकता है। वहीं कोच्चि, मैंगलोर, विशाखापत्तनम, हल्दिया, उडुपी, पारादीप और पुरी में समुद्र का बढ़ता जलस्तर 1% से 5% जमीन को निगल सकता है।
उच्च उत्सर्जन परिदृश्य में स्थिति
रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च उत्सर्जन परिदृश्य में सदी के अंत तक मुंबई, चेन्नई, मैंगलोर, हल्दिया, पारादीप, थूथुकुड़ी और यनम में समुद्र का जलस्तर और तेजी से बढ़ सकता है। मुंबई में जलस्तर 101.4 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है, जो 22% हिस्से को डूबो देगा। चेन्नई में जलस्तर 94.7 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है, जिससे 18.2% (216 वर्ग किलोमीटर) हिस्सा पानी में समा जाएगा।
कृषि, स्वास्थ्य और जैवविविधता पर असर
समुद्र के बढ़ते जलस्तर का असर जलापूर्ति, कृषि, वन और जैवविविधता पर भी पड़ सकता है। विशेष रूप से बैकवाटर और मैंग्रोव जोखिम में हैं, जिसका सीधा असर जैवविविधता और पर्यटन पर भी पड़ेगा। हल्दिया, उडुपी, पणजी और यनम में कृषि क्षेत्र, आद्रभूमियां और जलस्रोत समुद्र के बढ़ते जलस्तर की भेंट चढ़ सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
समुद्र का तेजी से बढ़ता जलस्तर जलवायु में आते बदलावों का परिणाम है। बढ़ते तापमान के प्रभावों को समझने के लिए रिपोर्ट में दो जलवायु परिदृश्यों को देखा गया है: मध्यम उत्सर्जन परिदृश्य (SSP2-4.5) और उच्च उत्सर्जन परिदृश्य (SSP5-8.5)। अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने भी सदी के अंत तक वैश्विक स्तर पर समुद्र का जलस्तर 1.6 मीटर तक बढ़ने की संभावना जताई है।
समुद्र का बढ़ता जलस्तर एक गंभीर समस्या है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस पर ध्यान देकर तटीय समुदायों को बचाने और नुकसान को कम करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। जलवायु में बदलावों को ध्यान में रखते हुए तटीय विकास से जुड़ी रणनीतियां बनाना भी जरूरी है।
Source and data – down to earth