नई दिल्ली – दिल्ली में डीटीसी के बेड़े में शामिल 1500 इलेक्ट्रिक बसों ने पिछले दो वर्षों में वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण सुधार किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इन बसों ने 91 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण में उत्सर्जित होने से रोकने में मदद की है, जो 18.20 लाख पेड़ों के लगाने के बराबर है।
दिल्ली के परिवहन विभाग द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1500 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इन बसों की लागत 11.20 करोड़ रुपये है और अब तक लगभग 40 करोड़ रुपये की यात्रा की गई है। विभाग ने हाल ही में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की समीक्षा की है और दिल्ली के 18 डिपो में इन बसों का संचालन शुरू कर दिया गया है। भविष्य में 42 और डिपो में भी इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू होने की योजना है।
डीटीसी के बेड़े में कुल 2966 सीएनजी बसें हैं, जिनकी लाइफ अगले साल तक पूरी हो जाएगी। अगस्त 2025 तक, इन सभी सीएनजी बसों को हटा दिया जाएगा और उनकी जगह इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली सरकार का लक्ष्य 2025 तक सीएनजी बसों की संख्या को कम कर इलेक्ट्रिक बसों की संख्या को 80 फीसदी तक बढ़ाना है, जिससे वायु में 4.67 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड कम होगी।
सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार ने योजना बनाई है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि 21 अगस्त को दिल्ली सचिवालय में एक गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें सर्दियों में प्रदूषण की रोकथाम पर चर्चा की जाएगी। इस प्रयास से उम्मीद है कि दिल्ली की हवा में प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित किया जा सकेगा।
दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों के आगमन ने वायु प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1500 इलेक्ट्रिक बसों ने दो वर्षों में 91 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड को रोकने में मदद की है, जो कि 18.20 लाख पेड़ों के लगाने के बराबर है। इन बसों की सफल शुरुआत ने दिल्ली सरकार को अपनी प्रदूषण कम करने की रणनीति को साकार करने में महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।
अब, 2025 तक सीएनजी बसों को पूरी तरह से हटाने और इलेक्ट्रिक बसों की संख्या को 80 फीसदी तक बढ़ाने के लक्ष्य के साथ, दिल्ली की वायु गुणवत्ता में और सुधार की उम्मीद है। सर्दियों में प्रदूषण की रोकथाम के लिए नई योजनाओं के साथ, दिल्ली सरकार का प्रयास है कि राजधानी में हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सके और सार्वजनिक परिवहन में स्थिरता लाया जा सके।
Source – हिंदुस्तान समाचार पत्र