केरल के वायनाड जिले में मंगलवार सुबह भारी बारिश के कारण भयंकर भूस्खलन हुआ, जिससे चार गांव पूरी तरह से तबाह हो गए। इस आपदा में अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है और 128 लोग घायल हुए हैं। 3,000 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है, जबकि मलबे में अभी भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका है। सेना और बचाव दल युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
आपदा की भयावहता
इस प्राकृतिक आपदा की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बचावकर्मियों को नदियों और कीचड़ में लोगों के क्षत-विक्षत शरीर के अंग मिल रहे हैं। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस पहाड़ी इलाके में अब चारों तरफ सिर्फ तबाही का मंजर ही नजर आ रहा है। यहां की हरियाली अब रेगिस्तान में तब्दील हो चुकी है।
“वायनाड के कुछ हिस्सों में भूस्खलन की घटना से बेहद व्यथित हूं। मेरी संवेदनाएं उन सभी लोगों के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। प्रभावित लोगों की मदद के लिए फिलहाल बचाव अभियान जारी है। केंद्र की ओर से राज्य को हरसंभव मदद मुहैया कराई जाएगी।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का आश्वासन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन से बात की और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में वायनाड के मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांव शामिल हैं।
बचाव कार्य
पहाड़ दरकने की घटनाएं मंगलवार को सुबह-सुबह उस समय हुईं, जब लोग गहरी नींद में थे। पहला भूस्खलन रात करीब 2 बजे हुआ और अगला भूस्खलन सुबह 4:15 बजे। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बड़ी संख्या में घर नष्ट हो गए। नदियां और नाले उफान पर हैं। रिहायशी इलाकों समेत हर तरफ पानी और मलबा दिखाई दे रहा है। पेड़-पौधे उखड़ गए हैं। कई वाहन पानी में तैरते नजर आए।

केंद्रीय राज्य मंत्री का दौरा
केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन राहत और बचाव अभियान का नेतृत्व करने के लिए वायनाड पहुंच गए हैं। मेरठ से प्रशिक्षित सेना की विशेष डॉग यूनिट के विशेषज्ञ भी तैनात किए गए हैं।
मलबे में फंसे लोग
मलबे में बड़ी संख्या में लोगों के दबे होने की आशंका है। कुछ लोग सोते समय बह गए। बचाव दल और सेना अथक प्रयास कर रहे हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को तैनात किया गया है। वायुसेना के हेलीकॉप्टर भी बचाव और राहत कार्य में लगे हुए हैं।
स्थानीय लोगों की स्थिति
विभिन्न गांवों में बचाव अभियान जारी रहने के दौरान लोग, खासकर बुजुर्ग, भूस्खलन के कारण पुल बह जाने के बाद अस्थायी पुल बनाकर खुद को बचाते नजर आए। कुछ जगहों पर लोग एक दूसरे को पूरी ताकत से थामे हुए दिखे ताकि वे बाढ़ के पानी के तेज बहाव में बह न जाएं। ढहे हुए घरों और मलबे के ढेर में फंसे लोगों द्वारा मदद की गुहार भी प्राकृतिक आपदा की भयावह तस्वीर पेश करती रही।
मौसम विभाग का अलर्ट
इस बीच, मौसम विभाग ने वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम और कासरगोड में बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब है कि इन इलाकों में और भारी बारिश होने की संभावना है। अगर भारी बारिश जारी रही तो बचाव अभियान में दिक्कतें आ सकती हैं।
वायनाड में हुए भीषण भूस्खलन ने इस क्षेत्र को अभूतपूर्व संकट में डाल दिया है। भारी बारिश के कारण हुए इस प्राकृतिक आपदा में 123 लोगों की जान चली गई, और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। हजारों लोगों को बचा लिया गया है, लेकिन मलबे में अभी भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका है। सेना और बचाव दल के अथक प्रयासों के बावजूद, स्थिति गंभीर बनी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए रेड अलर्ट के कारण बचाव कार्यों में और चुनौतियाँ आ सकती हैं। इस संकट की घड़ी में, स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर राहत और बचाव कार्यों में योगदान देना आवश्यक है।
Source and data – दैनिक जागरण