अंतरिक्ष में भारहीनता के प्रभाव का नया राज

saurabh pandey
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अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले यात्रियों के स्वास्थ्य के संबंध में कई अध्ययन किए जा चुके हैं। हाल ही में एक नया अध्ययन सामने आया है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर भेजे गए जीवित मानव मांसपेशी कोशिकाओं पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। इस शोध में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की टीम ने मांसपेशियों के स्वास्थ्य पर अंतरिक्ष यात्रा के प्रभावों की जांच की और संभावित उपचारों का परीक्षण किया।

शोध का उद्देश्य और विधि

शोध का उद्देश्य सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के कारण मांसपेशियों के क्षय को समझना और उपचार के संभावित उपायों की पहचान करना था। इस अध्ययन में जैव प्रौद्योगिकी से अनुकूलित मांसपेशियों (मांसपेशियों के चिप्स) का उपयोग किया गया। माइक्रोग्रैविटी पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वाकर्षण बल के दस लाखवें हिस्से के बराबर त्वरण को दर्शाता है, और यह अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति का सूचक होता है।

प्रमुख निष्कर्ष

जर्नल Stem Cell Reports में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, माइक्रोग्रैविटी के संपर्क में आने वाली मांसपेशियों की कोशिकाओं में चयापचय संबंधी परिवर्तन दिखाई दिए। इनमें मांसपेशियों के पुनर्जनन में कमी और जीन गतिविधियों में बदलाव शामिल थे, जो उम्र से संबंधित मांसपेशियों के नुकसान (सरकोपेनिया) के संकेतक हो सकते हैं। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में शोध दल के एसोसिएट प्रोफेसर नगन हुआंग ने बताया, “अंतरिक्ष एक अनूठा वातावरण है जो उम्र बढ़ने की प्रक्रियाओं को तेज करता है और स्वस्थ कार्यों को बाधित करता है।”

अध्ययन के परिणाम

शोधकर्ताओं ने पाया कि माइक्रोग्रैविटी में विकसित मांसपेशियों में मांसपेशी फाइबर का निर्माण कम हो गया और जीन गतिविधि में बदलाव आया। विशेष रूप से, माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन से जुड़े जीन की गतिविधियाँ प्रभावित हुईं, जबकि वसा निर्माण से संबंधित जीन की गतिविधियाँ बढ़ गईं। इससे यह संकेत मिलता है कि माइक्रोग्रैविटी मांसपेशियों के पुनर्जनन को बाधित कर सकती है।

भविष्य की दिशा

अंतरिक्ष यात्रियों ने मांसपेशियों के चिप्स का उपचार सरकोपेनिया और मांसपेशियों के उत्थान को बढ़ावा देने वाले दवाओं से किया। इस उपचार ने माइक्रोग्रैविटी के प्रतिकूल प्रभावों को आंशिक रूप से कम कर दिया। यह अध्ययन बायोइंजीनियर्ड ऊतक चिप्स की क्षमता को उजागर करता है और यह विभिन्न रोगों और दवा स्क्रीनिंग के अध्ययन के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

टीम ने इस शोध को जारी रखने की योजना बनाई है और 2025 के लिए एक और अंतरिक्ष मिशन निर्धारित किया है, जिसमें माइक्रोग्रैविटी-प्रेरित मांसपेशियों के नुकसान के लिए नए उपचारों की खोज की जाएगी।

अंतरिक्ष में भारहीनता (सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण) का मानव मांसपेशियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जैसा कि हाल ही में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोध में सामने आया है। इस अध्ययन ने दिखाया कि माइक्रोग्रैविटी के संपर्क में आने पर मांसपेशियों की कोशिकाओं में चयापचय संबंधी परिवर्तन होते हैं, जो मांसपेशियों के क्षय और पुनर्जनन की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष रूप से, माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन से जुड़े जीन की गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं, जबकि वसा निर्माण से संबंधित जीन सक्रिय हो जाते हैं।

अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर इन प्रभावों को समझना और संभावित उपचारों का परीक्षण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह शोध बायोइंजीनियर्ड ऊतक चिप्स की क्षमता को उजागर करता है और विभिन्न रोगों और दवा स्क्रीनिंग के अध्ययन में नए दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। आगामी अंतरिक्ष मिशनों में इस अनुसंधान को जारी रखना और माइक्रोग्रैविटी-प्रेरित मांसपेशियों के नुकसान के लिए नए उपचारों की खोज करना आवश्यक होगा ताकि अंतरिक्ष यात्रियों की लंबी अवधि के मिशनों के दौरान उनके स्वास्थ्य को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सके।

Source – दैनिक जागरण

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