वाराणसी: गंगा नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के पर्यावरण सचिव को नोटिस जारी किया है। एनजीटी ने तीन साल के भीतर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन न करने पर पर्यावरण सचिव से जवाब मांगा है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले सप्ताह पारित आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने जुलाई में एक नई रिपोर्ट दाखिल की थी। इस रिपोर्ट में वाराणसी में कई स्थानों पर सीवेज और घरेलू तथा अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट जल को गंगा नदी में गिराए जाने का उल्लेख है। एनजीटी ने कहा कि रिपोर्ट में संलग्न तस्वीरें नालों की दयनीय स्थिति को दर्शाती हैं, जो गंगा नदी में बह रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी नगर निगम के अंतर्गत तीन आंशिक रूप से टैप किए गए नाले – अस्सी या नगवा, नक्खा और सामने घाट तथा सुजाबाद नगर पंचायत के अंतर्गत दो अप्रयुक्त नाले – सायर माता मंदिर और घटवारी माता मंदिर हैं। इन नालों से अनुपचारित अपशिष्ट जल गंगा नदी में बहाया जा रहा है। एनजीटी ने कहा कि अस्सी नाला अनुपचारित सीवेज छोड़ रहा है। नालों की विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, नमूने निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करते थे और उनमें फेकल कोलीफॉर्म का स्तर बहुत अधिक था।
गंगा नदी के बढ़ते प्रदूषण को लेकर स्थानीय निवासी और पर्यावरण कार्यकर्ता लंबे समय से चिंता व्यक्त कर रहे हैं। गंगा नदी, जो भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है, में लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप नदी का पानी न केवल पीने योग्य नहीं रहा, बल्कि इसका उपयोग अन्य घरेलू कार्यों के लिए भी असुरक्षित हो गया है।
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है। एनजीटी ने यह भी कहा कि यदि समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो इस मामले में और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा नदी की सफाई और उसके प्रदूषण को रोकने के लिए एक व्यापक योजना की आवश्यकता है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना और अनुपचारित अपशिष्ट जल को नदी में गिरने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस मामले में स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। उन्हें इस दिशा में काम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने और लोगों को गंगा नदी की महत्ता और उसकी सफाई के महत्व के बारे में शिक्षित करने की जरूरत है।
गंगा नदी की सफाई और उसके प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीटी के इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार और संबंधित विभाग तेजी से कार्य करेंगे और गंगा नदी को स्वच्छ बनाने की दिशा में सार्थक कदम उठाएंगे।
source and data-अमर उजाला