देश में सितंबर से दिसंबर के बीच होने वाली 21वीं पशुधन गणना की तैयारी जोरों पर है। इस बार 225 प्रकार की पशुधन नस्लों की गणना की जाएगी, जो पिछली बार 184 थी। पशुधन और मुर्गी पक्षियों की गणना 1919-20 से हर पांच साल में की जाती है। यह गणना पशुधन की सटीक और उचित पहचान के साथ की जाएगी, जिससे प्राप्त आंकड़े देश के आर्थिक विकास और खाद्य सुरक्षा के लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक होंगे।
गणना का उद्देश्य
गणना से पशुओं की विभिन्न नस्लों की संख्या और स्थिति का पता चलता है, जिससे उन्हें आनुवंशिक रूप से बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
शामिल पशुधन
गणना में भैंस, याक, भेड़, बकरी, घोड़ा, गधा, टट्टू, खच्चर, सुअर, कुत्ता, ऊंट, खरगोश और हाथी की नस्लवार गणना की जाएगी। इसके अलावा मुर्गी, बत्तख और अन्य पोल्ट्री पक्षियों की गणना भी की जाएगी।
गणना में शामिल नस्लें
राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) ने पंजीकरण के आधार पर पशुधन गणना में सम्मिलित कुल नस्लों की संख्या 212 बताई है। पिछली बार 19 नस्लों की 184 मान्यता प्राप्त देशी, विदेशी एवं संकर नस्लों की पहचान की गई थी, जिनकी कुल संख्या लगभग 53.68 करोड़ थी।
गणना की प्रक्रिया
इस बार गणना कार्य में केंद्र एवं राज्यों के लगभग एक लाख कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। पायलट सर्वेक्षण के लिए उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात एवं अरुणाचल का चयन किया गया है। पशुपालन मंत्रालय की ओर से विभिन्न राज्यों के नोडल अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के रूप में सॉफ्टवेयर एवं पशु नस्लों की सटीक पहचान करने की विधि सिखाई जा रही है। इसके बाद वे अपने-अपने जिलों में गणना कार्य में लगे कर्मचारियों को प्रशिक्षण देंगे।
तकनीकी सहायता
2019 में गणना के दौरान पहली बार टैबलेट का इस्तेमाल किया गया था। इस बार सटीक गणना पर ज्यादा जोर है, जिससे नस्लों की सही पहचान में कोई त्रुटि न हो।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान
पशुधन की गणना ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कुल वृद्धि दर लगभग 7.93 प्रतिशत है और बाजार का आकार 15.63 लाख करोड़ रुपये है। विभिन्न नस्लों का ज्ञान नीति निर्माताओं, कृषि विशेषज्ञों, व्यापारियों, उद्यमियों और डेयरी उद्योगों को मदद करता है।
source and data – दैनिक जागरण