अनियंत्रित कार्बन उत्सर्जन उष्णकटिबंधीय वर्षा को तेजी से उत्तर की ओर धकेल रहा है, जिसके कारण आने वाले दशकों में भूमध्य रेखा के आसपास के क्षेत्रों की कृषि और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से जुड़े जलवायु वैज्ञानिकों ने अपने ताजा अध्ययन में यह जानकारी दी है।
भारत की मौसम प्रणाली पर प्रभाव
शोधकर्ताओं के अनुसार, अनियंत्रित कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा लगातार उत्तर की ओर बढ़ रही है। इससे भारत के हिमालयी क्षेत्र सहित उत्तर में भारी बारिश के कारण आपदाएँ बढ़ रही हैं। उष्णकटिबंधीय वर्षा क्षेत्र भारतीय मानसून को भी प्रभावित कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित
शोधकर्ताओं का कहना है कि वायुमंडल में हो रहे जटिल परिवर्तन अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्रों (ITCZ) के निर्माण को प्रभावित कर रहे हैं। यह क्षेत्र मौसम के लिए इंजन का काम करता है, जो दुनिया की लगभग एक तिहाई वर्षा का उत्पादन करता है।
कृषि उत्पादन पर गहरा असर
जलवायु परिवर्तन के कारण उष्णकटिबंधीय वर्षा के उत्तर की ओर खिसकने से भूमध्य रेखा के आसपास के क्षेत्र जैसे मध्य अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और प्रशांत द्वीप सबसे अधिक प्रभावित होंगे। इन इलाकों में कॉफी, कोको, पाम ऑयल, केला, गन्ना, चाय, अनानास जैसी फसलें उगाई जाती हैं। प्रमुख शोधकर्ता वेई लियू के अनुसार, यह इलाका बहुत बारिश वाला है और इसमें थोड़ा सा भी बदलाव कृषि और अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है।
दो दशक तक चलेगा बदलाव
शोधकर्ता वेई लियू का कहना है कि उत्तर की ओर यह बदलाव सिर्फ दो दशक तक चलेगा। दक्षिणी महासागर का मजबूत वार्मिंग प्रभाव इन अभिसरण क्षेत्रों को वापस दक्षिण की ओर खींच लेगा और अगले हजार साल तक उन्हें वहीं रखेगा।
source and data -अमर उजाला