भारत में मानसून का आगमन हर साल अनेकों रहस्यों को साथ लेकर आता है। इस बार, दिल्ली में बारिश का प्रकारी अंतर देखने को मिला है, जो सामान्य वर्षा के अनोखे खासियत साबित हो रहे हैं।
जैसे कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, 2024 के दक्षिण-पश्चिमी मानसून के दौरान, पश्चिमी दिल्ली में बारिश में 99% की कमी दर्ज की गई है जबकि उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में इसके उल्लेखनीय 122% से अधिक बारिश का रिकार्ड हुआ है। यह अंतर इतना महसूस हो रहा है कि एक शहर के दो छोटे हिस्सों में भी बारिश की मात्रा में व्यापक अंतर देखने को मिल रहा है।
दिल्ली के अन्य क्षेत्रों में भी बारिश का विभाजन स्पष्ट हो रहा है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में बारिश सामान्य से 64% कम रही, जबकि उत्तरी दिल्ली और नई दिल्ली में सामान्य से क्रमशः 84% और 76% अधिक बारिश हुई है। ये सभी इलाके एक-दूसरे से इतनी ही कम दूरी पर होने के बावजूद बारिश में इतना अंतर दिखा रहे हैं।
इस विविधता के पीछे कई कारक हैं, जैसे कि वायुमंडलीय परिवर्तन, भूमि की सतह का तापमान, वायुमंडलीय गतिविधियों के प्रभाव, और नगरीय क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर। इन सभी कारकों ने मिलकर दिल्ली के बारिश के वितरण में विविधता लाई है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भुवनेश्वर के एक विशेषज्ञ ने बताया कि हरित आवरण और वायु प्रदूषण जैसे कारक इस विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो बारिश के वितरण को स्थानीय स्तर पर प्रभावित कर सकते हैं।
इस प्रकार, दिल्ली में इस बारिश के अनुसंधान से प्रकट हो रहा है कि मानसून की विभिन्नता में छुपी ये गहरी और जटिल प्रक्रियाएँ हैं, जो हमारे मौसम विज्ञान को और भी गहरा अध्ययन करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इसके साथ ही, इस अंतर के पीछे छिपी भौतिकीय और विज्ञानिक प्रक्रियाएँ समझने में हमारे लिए नई दिशा दिखा रही हैं।
source and data – डाउन टू अर्थ