गर्मी बढ़ने से कीटों के जोड़े अलग हो रहे हैं: पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

saurabh pandey
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बदलता मौसम कीटों को कई तरह से प्रभावित कर रहा है। जंगलों के खत्म होने से उनका आवास कम हो रहा है, उनके जीवन में मानवीय हस्तक्षेप बढ़ रहा है और अब एक नई समस्या सामने आ रही है। मौसम कीटों के संभोग में भी बाधा उत्पन्न कर रहा है। हाल ही में हुए एक शोध में पता चला है कि गर्मी बढ़ने से चमकीले रंग वाले कीट अपने साथी नहीं ढूंढ पा रहे हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

कीट पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अगर इनके अस्तित्व पर संकट आता है तो इसका भोजन से लेकर आजीविका तक इंसानों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक खेतों में पाए जाने वाले आम कीड़ों की संख्या औसतन आधी रह गई है। यह स्थिति न केवल कीटों के लिए, बल्कि संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चिंताजनक है।

चमकीले रंग और गर्मी का प्रभाव

दरअसल, चमकीले रंग अधिक गर्मी सोखते हैं। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, कीटों में खुद को बचाने के लिए ये बदलाव हो रहे हैं। उनका रंग फीका पड़ रहा है, जो उनकी साथी पहचानने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है। कीट रंगों से विपरीत लिंग को आकर्षित करते हैं और खोजते हैं, लेकिन रंग बदलने के कारण यह प्रक्रिया बाधित हो रही है। इतना ही नहीं, गर्मी के कारण कीट पहले की तुलना में अधिक समय तक अपने आवास में छिपे रहते हैं।

रात में बढ़ रही गतिविधियां

दिन की अपेक्षा रात में तापमान कम होता है और इसलिए कीटों की गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के डॉ. मार्क वोंग द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया था। इसके परिणाम नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुए थे।

संभावित प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा

शोधकर्ताओं को डर है कि बढ़ते तापमान के कारण कुछ प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। गर्मी से बचने के लिए कीट दिन में अपने आश्रय के अंदर छिप जाते हैं। इसके अलावा, शहतूत-रेशम कीट और बाघ कीट सहित आठ कीट प्रजातियां 2000 मीटर की बजाय 3500 या उससे अधिक मीटर की ऊंचाई पर पाई गई हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, तितलियां तापमान के प्रति अधिक संवेदनशील होने के कारण जलवायु परिवर्तन के अच्छे संकेतक मानी जाती हैं।

बदलते मौसम और बढ़ती गर्मी का कीटों के जीवन पर गहरा असर पड़ रहा है। जहां एक ओर उनके रंग में बदलाव के कारण साथी पहचानने में समस्या हो रही है, वहीं दूसरी ओर उनका आवास भी कम हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप, कीटों की प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।

कीट पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनकी संख्या में कमी का सीधा असर इंसानों के भोजन और आजीविका पर पड़ सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं ताकि कीटों और समूचे पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की जा सके।

Source- हिंदुस्तान समाचार पत्र

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