नई दिल्ली: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पुराने टायरों के उचित निपटान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बोर्ड ने देश भर की टायर निर्माण और रिसाइकिलिंग एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे 31 अगस्त तक अपने पंजीकरण को पूरा करें।
एक विशेष पोर्टल
इसके लिए एक विशेष पोर्टल (https://www.eptyrescpcb.in) भी तैयार किया गया है। यह कदम इसलिए आवश्यक है क्योंकि बढ़ते वाहनों के साथ उपयोग किए गए टायरों की संख्या भी बढ़ रही है, और अगर इनका सही तरीके से निपटान नहीं किया गया तो ये मानव स्वास्थ्य के लिए बड़े खतरे का कारण बन सकते हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
टायर जलाने से निकलने वाली हानिकारक गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक, डाइऑक्सिन, बेंजीन और विभिन्न धातुएं वातावरण में फैल जाती हैं। इन गैसों के संपर्क में आने से त्वचा और आंखों में जलन, सांस की समस्याएं, और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। टायर की आग से निकलने वाले धुएं से आंखों, नाक और सांस की नली में जलन होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है।
उचित निपटान की आवश्यकता
सीपीसीबी के निदेशक (अपशिष्ट प्रबंधन) आनंद कुमार द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि सभी टायर निर्माण और रिसाइकिलिंग एजेंसियों को खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (सीमा पार आवागमन प्रबंधन) संशोधन नियम 2022 के अनुसार इस पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। इसके बाद हर तिमाही में उत्पादित और निपटाए गए टायरों की जानकारी पोर्टल पर देनी होगी। यह प्रक्रिया पुराने टायरों के उचित निपटान को बढ़ावा देगी और इससे जवाबदेही भी तय होगी।
जिम्मेदारी और सख्त कार्रवाई
टायर निर्माण और रिसाइकिलिंग कंपनियों की जिम्मेदारी होगी कि वे सुनिश्चित करें कि इस्तेमाल किए गए टायर कहीं जलाए न जाएं बल्कि उनका सही तरीके से निपटान किया जाए। अगर इस काम में लापरवाही बरती गई तो जुर्माना लगाने समेत सख्त कार्रवाई का प्रावधान भी होगा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उठाए गए इस कदम से उम्मीद है कि पुराने टायरों के निपटान की समस्या को सही तरीके से सुलझाया जा सकेगा। इससे न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकेगा, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह प्रयास एक महत्वपूर्ण दिशा में उठाया गया कदम है जो अन्य राज्यों और देशों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।
दिल्ली सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए प्रयासों से न केवल वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि जलवायु परिवर्तन से भी निपटा जा सकेगा। इस प्रकार, यह कदम दिल्ली को एक हरित और स्वच्छ शहर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
Source and data – dainik jagran