राजधानी दिल्ली में वेटलैंड की खोज का काम तेजी से जारी है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और अन्य संबंधित एजेंसियों ने राजस्व विभाग के साथ मिलकर मध्य दिल्ली जिले में 44 वेटलैंड की पहचान की है। इनमें से 36 वेटलैंड का सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया है, जबकि आठ वेटलैंड के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।
मध्य दिल्ली जिला प्रशासन द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में 44 वेटलैंड में से अधिकांश स्थान निजी जमीन पर पाए गए हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये सभी वेटलैंड हैं या नहीं। जो वेटलैंड पाई गईं, वे या तो जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं या झाड़ियों और कचरे से भरी हुई हैं।
सर्वेक्षण दो चरणों में पूरा किया गया। पहले चरण में 15 वेटलैंड और दूसरे चरण में 21 वेटलैंड का सर्वे किया गया। इस दौरान शांतिवन और राजघाट के पास, कृषि भूमि, अधिग्रहित भूमि या निजी भूमि पर स्थित 34 चिन्हित स्थानों का निरीक्षण किया गया। वजीरावाद क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहे अधिकारियों ने बताया कि इन स्थानों की पहचान भू-स्थानिक छवियों (उपग्रह से) के माध्यम से की गई थी, जो संभवतः मानसून के दौरान या बारिश के बाद प्राप्त की गई थीं।
सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप 10 वेटलैंड की स्पष्ट पहचान की गई है। इनमें से कुछ वेटलैंड अच्छी स्थिति में हैं, जबकि कुछ जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं और कचरे के कारण अस्तित्वहीन होने के कगार पर हैं।
दिल्ली विकास प्राधिकरण के छह वेटलैंड की स्थिति अच्छी बताई जा रही है, जिनमें से चार बुराड़ी क्षेत्र में स्थित हैं। दो वेटलैंड का रखरखाव डीडीए और दो का दिल्ली जल बोर्ड करता है। झारौदा माजरा स्थित बायोडायवर्सिटी पार्क में एक वेटलैंड भी अच्छी स्थिति में पाया गया है। यमुना के किनारे एक और वेटलैंड मिला है।
राजस्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस भूमि का अधिकांश हिस्सा डीडीए का है और उसी एजेंसी को वेटलैंड भूमि पर निर्णय लेना है जिसकी सही पहचान की गई है।
दिल्ली में वेटलैंड की स्थिति में सुधार लाने और उनके संरक्षण के लिए यह सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन द्वारा प्राप्त आंकड़ों और जानकारी का उपयोग कर इन वेटलैंड को पुनर्जीवित करने की दिशा में उचित कदम उठाए जाएंगे।
वेटलैंड (आद्रभूमि ) किसे कहते हैं ?
वेटलैंड ऐसे क्षेत्रों को कहा जाता है जहां जमीन पर या उसके नीचे पानी की मौजूदगी होती है, जिससे वहां विशिष्ट प्रकार की वनस्पति और जीव-जंतु विकसित होते हैं। वेटलैंड स्थाई या अस्थाई रूप से जलमग्न हो सकते हैं और ताजे, खारे या मिश्रित पानी से भरे हो सकते हैं। इन क्षेत्रों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
जलभराव: वेटलैंड में पानी की मौजूदगी सबसे महत्वपूर्ण कारक है। यह पानी स्थायी हो सकता है या कुछ समय के लिए भी हो सकता है, जैसे मानसून के दौरान।
वनस्पति: वेटलैंड की वनस्पति विशेष होती है, जिसमें ऐसे पौधे शामिल होते हैं जो जलमग्न स्थिति में जीवित रह सकते हैं। इनमें सरकंडा, कास, कमल आदि शामिल हैं।
जीव-जंतु: वेटलैंड विभिन्न प्रकार के पक्षियों, मछलियों, उभयचरों और अन्य जलीय जीवों का निवास स्थान होते हैं।
प्रकार: वेटलैंड कई प्रकार के होते हैं, जैसे दलदल, आर्द्रभूमि, समुद्र तटीय क्षेत्र, नदी के किनारे की बाढ़ वाली भूमि आदि।
वेटलैंड पर्यावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे जैव विविधता को बनाए रखते हैं, भूजल को रिचार्ज करते हैं, बाढ़ को नियंत्रित करते हैं और प्रदूषण को कम करते हैं। इन्हें प्राकृतिक जल शोधक के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वे पानी में मौजूद हानिकारक तत्वों को अवशोषित और फिल्टर करते हैं।
source – dainik jagran