टिड्डे फसलों को खाने के लिए खुद को ढाल रहे हैं

saurabh pandey
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टिड्डे अब गंध की मदद से फसलों को पहले से बेहतर तरीके से पहचान रहे हैं और खुद को उसी के मुताबिक ढाल भी रहे हैं। उनके झुंड अब पहले से ज्यादा बड़े होते जा रहे हैं, जो किसानों के लिए बेहद चिंताजनक है।

कोस्टारिका विश्वविद्यालय के क्लस्टर ऑफ एक्सीलेंस कलेक्टिव बिहेवियर के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह खुलासा किया है कि टिड्डियों का झुंड अब गंध के प्रभाव से फसलों को जानने में अधिक सक्षम है। नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, टिड्डे अब अपनी सूंघने की क्षमता को बढ़ाकर फसलों की गंध के अनुसार अपने खाने को पहचान पा रहे हैं।

इस अध्ययन में, विशेष रूप से कैल्शियम इमेजिंग तकनीक का उपयोग करके गंध के प्रभाव को जांचा गया, जिससे टिड्डियों के मस्तिष्क के क्षेत्र में सूचना प्रसंस्करण की प्रक्रिया को समझने में मदद मिली। यहां तक कि विशाल झुंड के बावजूद टिड्डे अपने वर्तमान आवासीय स्थान में गंध के अनुसार फसलों को पहचानने में सक्षम थे।

इस अध्ययन के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन का अनुमान है कि एक अरब टिड्डियों का झुंड एक दिन में लगभग 1,500 टन भोजन खा सकता है, जो एक दिन में 2,500 लोगों को खिलाने के बराबर है। इस तरह, टिड्डियों के फसलों पर प्रभाव को और भी बढ़ावा मिला है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस अध्ययन से हमें यह सीख मिलती है कि टिड्डे अपनी विशाल झुंडों के साथ-साथ अपने स्वाभाविक आवासीय स्थान में गंध के माध्यम से फसलों को पहचान रहे हैं और इस तरह से उनके विशाल झुंडों का आकार भी बढ़ रहा है।

Source and data- अमर उजाला

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