चिंताजनक: दुनिया भर में उत्पादित भोजन का करीब एक तिहाई हिस्सा बर्बाद हो रहा है

saurabh pandey
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आज के दौर में जब दुनिया भर में भूख और कुपोषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है, एक और चिंताजनक तथ्य उभरकर सामने आया है – दुनिया भर में उत्पादित भोजन का करीब एक तिहाई हिस्सा बर्बाद हो रहा है। यह समस्या न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी गंभीर है।

भोजन की बर्बादी के आंकड़े

फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) के अनुसार, हर साल लगभग 1.3 बिलियन टन भोजन बर्बाद हो जाता है। यह संख्या वैश्विक खाद्य उत्पादन का लगभग 30% है। इस बर्बादी का सबसे बड़ा हिस्सा ताजे फलों और सब्जियों, अनाज, दूध, मांस, और समुद्री खाद्य पदार्थों का है।

दुनिया भर में इंसानों के लिए उत्पादित भोजन का करीब एक तिहाई हिस्सा बर्बाद हो रहा है। अगर इस बर्बादी को 50 फीसदी भी रोक दिया जाए तो करीब 15 करोड़ लोगों का पेट भरा जा सकता है। इतना ही नहीं, जब भोजन बर्बाद होता है तो भोजन के उत्पादन, प्रसंस्करण, परिवहन, तैयारी, भंडारण और निपटान में इस्तेमाल होने वाली जमीन, पानी, ऊर्जा और अन्य इनपुट भी बर्बाद हो जाते हैं। इससे ग्रीनहाउस गैसों का भारी उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन का कारण बन रहा है।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन का अनुमान

2030 तक करीब 60 करोड़ लोग भुखमरी का सामना करने को मजबूर होंगे। खाद्य पदार्थों की बर्बादी और नुकसान को कम करने से वैश्विक स्तर पर अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध होगा। इससे खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतें कम होंगी।

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन की रिपोर्ट

एफएओ और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य पदार्थों की बर्बादी को आधा करने से कृषि क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में चार प्रतिशत की कमी आ सकती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें यह समझना होगा कि हम संसाधनों को इस तरह बर्बाद नहीं कर सकते, क्योंकि हम जो भी निवाला बर्बाद करते हैं, उससे किसी और का पेट भर सकता है।

ग्रामीण से लेकर शहरी इलाकों तक ज्यादातर घरों में खाद्य पदार्थों की कमी है। कई बार ऐसा ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिल रहा है। सबसे ज़्यादा फल और सब्ज़ियाँ बर्बाद हो रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 से 2023 के बीच बर्बाद हुए खाने में से लगभग आधे फल और सब्ज़ियाँ हैं। इसमें से लगभग एक-चौथाई अनाज है। भारत में भी घरों में फलों और सब्ज़ियों का खराब होना बहुत आम बात है।

अमेरिका में भोजन की बर्बादी

अमेरिका में एक-तिहाई खाना बिना खाए रह जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में घरों में बर्बाद हुए खाने का लगभग 96 प्रतिशत लैंडफिल, भस्मीकरण सुविधाओं या सीवर सिस्टम में चला गया। बचा हुआ खाना खाद में बदल दिया गया।

खाद्य उपलब्धता में वृद्धि

2030 तक खाद्य हानि को आधा करने से कमज़ोर देशों में आम लोगों को 10% ज़्यादा खाना मिलेगा। इसी तरह, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लोगों के पास पहले की तुलना में 6% ज़्यादा खाना और उच्च मध्यम आय वाले देशों में लोगों के पास 4% ज़्यादा खाना होगा। संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक प्रति व्यक्ति खाद्य बर्बादी को 50 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा है।

समाधान

  • सजगता और शिक्षा: लोगों को खाद्य बर्बादी के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। इससे वे अपने खाने-पीने के आदतों में बदलाव ला सकते हैं।
  • भंडारण और प्रसंस्करण: आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके फसलों के भंडारण और प्रसंस्करण में सुधार किया जा सकता है, जिससे बर्बादी कम होगी।
  • नीतिगत बदलाव: सरकारों को खाद्य बर्बादी को रोकने के लिए सख्त नीतियां लागू करनी चाहिए।
  • दान और पुनर्वितरण: बचे हुए खाद्य पदार्थों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए संस्थानों और संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाना चाहिए।

भोजन की बर्बादी एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान हमारे हाथ में है। हमें व्यक्तिगत, सामुदायिक, और वैश्विक स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि इस समस्या को जड़ से मिटाया जा सके। अगर हम मिलकर कदम उठाएं, तो न केवल हम भूखमरी और कुपोषण जैसी समस्याओं से निपट सकते हैं, बल्कि अपने पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को भी बेहतर बना सकते हैं। खाद्य पदार्थों की बर्बादी को कम करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। इससे न केवल भुखमरी की समस्या का समाधान हो सकेगा, बल्कि पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम किया जा सकेगा।

source and data – अमर उजाला नेटवर्क

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