वैज्ञानिकों ने खाद्य उत्पादन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। फिनलैंड की एक कंपनी ने कार्बन डाइऑक्साइड(carbon dioxide), बिजली, पानी, और सूक्ष्मजीवों(microorganisms) की मदद से एक प्रोटीन पाउडर विकसित किया है, जिसे सोलीन कहा जाता है। इस तकनीक का उपयोग करके स्विट्जरलैंड के कई रेस्टोरेंट में प्रोटीन से भरपूर भोजन तैयार किया जा रहा है।
सोलीन: पर्यावरण-अनुकूल और पौष्टिक विकल्प
सोलिन एक पीला पाउडर है जिसमें मानव शरीर के लिए आवश्यक सभी एमिनो एसिड और कई विटामिन शामिल हैं। इसे फिनलैंड की सोलर फूड्स कंपनी ने तैयार किया है, जिसकी स्थापना 2017 में हुई थी। सोलीन का उत्पादन दूसरे प्रोटीन स्रोतों से अधिक मात्रा में किया जा सकता है और इसके लिए सिर्फ बिजली और हवा का उपयोग होता है, जिससे यह एक निरंतर और पर्यावरण-अनुकूल प्रोटीन स्रोत बनता है।
कैसे बनता है सोलीन?
सोलीन उत्पादन की प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड, बिजली और सूक्ष्मजीवों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में पौधे में मौजूद सूक्ष्मजीवों को ऐसा वातावरण दिया जाता है, जहां वे तेजी से बढ़ सकें। हाइड्रोजन को इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया के जरिए पानी से अलग किया जाता है। सूक्ष्मजीव इस हाइड्रोजन को भोजन के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देते हैं। इस प्रक्रिया से बायोमास बनता है, जिसे सुखाकर पाउडर बनाया जाता है।

जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायक
कृषि और पशुपालन को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देते हैं। सोलिन का उपयोग करके खाद्य उत्पादन में पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सकता है। यह जलवायु परिवर्तन के संकट से उबरने में दुनिया के लिए मददगार साबित हो सकता है।
उत्पादन क्षमता और उपयोग
सोलर फूड्स के सीईओ और सह-संस्थापक डॉ. पासी वैनिका के अनुसार, फैक्ट्री में स्थापित फर्मेंटर की क्षमता 20,000 लीटर है। यहां से प्रतिदिन उत्पादित प्रोटीन की मात्रा 300 लीटर दूध या 50,000 अंडों से प्राप्त प्रोटीन की मात्रा के बराबर है। यह एक साल में 50 लाख थाली के लिए पर्याप्त है। स्विट्जरलैंड में सोलिन का उपयोग पास्ता और अन्य व्यंजन बनाने में किया जा रहा है।
सोलिन की विशेषताएं
- प्रोटीन की उच्च मात्रा: सोलिन में प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है, जो मांस के समान होती है।
- पौष्टिक तत्व: इसमें सभी आवश्यक एमिनो एसिड और कई विटामिन शामिल हैं।
- पर्यावरण-अनुकूल: सोलिन का उत्पादन पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।

सोलीन एक क्रांतिकारी खाद्य तकनीक है, जो कार्बन डाइऑक्साइड और सूक्ष्मजीवों की मदद से प्रोटीन पाउडर बनाती है। यह पर्यावरण-अनुकूल और पौष्टिक विकल्प है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायक हो सकता है। इसके उपयोग से न केवल पर्यावरण को बचाया जा सकता है, बल्कि भविष्य में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिल सकती है।
Source- हिन्दुस्तान समाचार पत्र