विश्व बैंक भारत में हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 150 मिलियन डॉलर की सहायता देगा

saurabh pandey
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विश्व बैंक ने भारत को हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए 150 मिलियन डॉलर की सहायता मंजूर की है। इससे भारत को अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। विश्व बैंक ने शनिवार को कहा कि यह कम कार्बन ऊर्जा कार्यक्रम विकास नीति के तहत वित्तपोषण प्रोत्साहन का दूसरा चरण है। इससे पहले पिछले साल जून में भी विश्व बैंक ने भारत को 150 करोड़ डॉलर मंजूर किए थे।

इस मदद से देश में हर साल 450,000 मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन और 1,500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। भारत का विकास जारी रहेगा। रणनीति समर्थन के तहत कौमे इलेक्ट्रोलाइजर का उत्पादन अपेक्षित है। इससे अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने और प्रति वर्ष 50 मिलियन टन उत्सर्जन कम करने में भी मदद मिलेगी।

विश्व बैंक ने कहा कि भारत का कम कार्बन, लचीली अर्थव्यवस्था, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और अधिक आबादी वाला देश बनना घरेलू और वैश्विक दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण है। विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा कि विश्व बैंक भारत की कम कार्बन विकास रणनीति का समर्थन करना जारी रखेगा, जिससे देश के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।

इसके साथ ही निजी क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी नौकरियों को बढ़ावा मिलेगा। दरअसल, पहले और दूसरे दोनों चरणों में हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा में निजी निवेश को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।

हरित ऊर्जा: एक परिचय

हरित ऊर्जा वह ऊर्जा है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होती और जिसे पुनः उत्पन्न किया जा सकता है। इसे नवीकरणीय ऊर्जा या स्वच्छ ऊर्जा भी कहा जाता है। हरित ऊर्जा के स्रोत प्राकृतिक होते हैं और ये अनवरत रूप से उपलब्ध होते हैं। इनका उपयोग करने से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है, जिससे जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की समस्याओं को कम किया जा सकता है।

हरित ऊर्जा के प्रमुख स्रोत

सौर ऊर्जा (Solar Energy):

सौर ऊर्जा सूर्य की किरणों से उत्पन्न होती है। सोलर पैनल के माध्यम से इसे बिजली में बदला जाता है। यह सबसे लोकप्रिय और तेजी से बढ़ता हुआ हरित ऊर्जा स्रोत है।

पवन ऊर्जा (Wind Energy):

पवन ऊर्जा हवा के प्रवाह से उत्पन्न होती है। विंड टर्बाइनों के माध्यम से हवा की गति को बिजली में परिवर्तित किया जाता है। यह समुद्र तटों और खुली जगहों पर बहुत प्रभावी होती है।

जल विद्युत (Hydropower):

जल विद्युत बिजली उत्पादन के लिए पानी के प्रवाह का उपयोग करती है। यह एक पुराना और स्थायी हरित ऊर्जा स्रोत है, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में जहां नदी और झरने अधिक होते हैं।

जैव ऊर्जा (Biomass Energy):

जैव ऊर्जा जीवित या हाल ही में जीवित जीवों से प्राप्त होती है। यह कृषि अपशिष्ट, वन उत्पाद, और अन्य जैविक सामग्रियों से उत्पन्न होती है।

भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy):

भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी की आंतरिक गर्मी से उत्पन्न होती है। इस ऊर्जा का उपयोग विशेष रूप से उन क्षेत्रों में किया जाता है जहां भूगर्भीय गतिविधियाँ अधिक होती हैं।

हरित ऊर्जा के लाभ

पर्यावरण संरक्षण:

हरित ऊर्जा का उपयोग ग्रीनहाउस गैसों और अन्य प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करता है, जिससे वायु और जल की गुणवत्ता में सुधार होता है।

नवीकरणीय:

हरित ऊर्जा स्रोत पुनः उत्पन्न हो सकते हैं और कभी समाप्त नहीं होते, जिससे ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है।

स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा:

हरित ऊर्जा परियोजनाओं से स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

ऊर्जा सुरक्षा:

यह ऊर्जा स्रोत आयातित जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करता है, जिससे राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा बढ़ती है।

हरित ऊर्जा एक स्थायी और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा विकल्प है जो भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है। इसके उपयोग को बढ़ावा देने से न केवल पर्यावरण की रक्षा होती है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक लाभ भी होते हैं। हरित ऊर्जा में निवेश करना और इसे अपनाना हमारे ग्रह के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारत में हरित ऊर्जा का भविष्य

बढ़ते हुए प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच, हरित ऊर्जा की दिशा में भारत ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में, विश्व बैंक ने भारत को हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए 150 मिलियन डॉलर की सहायता मंजूर की है। इस सहायता से भारत को अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलेगा और देश के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होंगे।

हरित हाइड्रोजन और अक्षय ऊर्जा का महत्व

विश्व बैंक की इस सहायता से देश में हर साल 450,000 मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन और 1,500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। हरित हाइड्रोजन, जो पानी के विभाजन से उत्पन्न होता है, एक स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा स्रोत है। इससे न केवल कार्बन उत्सर्जन कम होगा बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होगी।

नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश

भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ लागू की हैं। इससे न केवल आर्थिक विकास होगा बल्कि लाखों रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हरित ऊर्जा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को स्वच्छ ऊर्जा में निवेश करके एक सशक्त और स्वच्छ भविष्य की ओर बढ़ना चाहिए।

वैश्विक समर्थन

विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा कि विश्व बैंक भारत की कम कार्बन विकास रणनीति का समर्थन करना जारी रखेगा। इससे देश के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत का कम कार्बन, लचीली अर्थव्यवस्था और अधिक आबादी वाला देश बनना घरेलू और वैश्विक दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

तकनीकी विकास

हरित ऊर्जा के क्षेत्र में तकनीकी विकास भी आवश्यक है। कौमे इलेक्ट्रोलाइजर का उत्पादन और उपयोग इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने और प्रति वर्ष 50 मिलियन टन उत्सर्जन कम करने में भी मदद मिलेगी।

भारत में हरित ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। सरकार और वैश्विक संगठनों के समर्थन से, भारत तेजी से हरित ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है। यह न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है। हरित ऊर्जा के माध्यम से भारत एक स्वच्छ और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर है।

prakritiwad.com

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