प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 4.5 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अनुसार, यह पहल न केवल पर्यावरण को सुधारने में मदद करेगी बल्कि प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
पौधारोपण का विस्तृत प्लान
- दिल्ली: अकेले दिल्ली में 56.40 लाख से अधिक पौधे लगाए जाएंगे।
- उत्तर प्रदेश और हरियाणा: इन राज्यों के एनसीआर जिलों में कुल 3.25 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे।
- यूपी के एनसीआर जिलों में 1.97 करोड़ पौधे।
- हरियाणा के एनसीआर जिलों में 1.32 करोड़ पौधे।
- राजस्थान: एनसीआर के जिलों में 42.68 लाख पौधे लगाए जाएंगे।
उद्देश्य और लाभ
केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने बताया कि खुले क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने से प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। विशेषकर सड़क किनारे और उनके बीच की जगह में पौधे लगाने से वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।

पिछले वर्षों का प्रदर्शन
पौधारोपण के लक्ष्य में लगातार वृद्धि की गई है:
- 2021-22: लगभग 28 लाख 81 हजार पौधे लगाए गए।
- 2022-23: पौधारोपण की संख्या बढ़ाकर तीन करोड़ 11 लाख की गई।
- 2023-24: तीन करोड़ 60 लाख पौधे लगाए गए।
अभियान की निगरानी
आयोग पूरे एनसीआर क्षेत्र में पौधारोपण की नियमित निगरानी करेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लक्ष्य पूरा हो और प्रदूषण रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
यह पहल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पौधारोपण से न केवल पर्यावरण को लाभ मिलेगा, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह समय की मांग है कि हम सभी मिलकर इस प्रयास में सहयोग करें और पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में अपना योगदान दें।
पर्यावरण प्रदूषण कम करने में पौधों की भूमिका
पर्यावरण प्रदूषण आज की दुनिया में एक गंभीर समस्या बन गया है। यह समस्या मानव स्वास्थ्य, वन्यजीवन और पृथ्वी की पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रही है। प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण की रक्षा करने में पौधे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पौधों की भूमिका
कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करना: पौधे प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। यह प्रक्रिया ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करती है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है।
वायु को शुद्ध करना: पौधे हवा में मौजूद हानिकारक कणों और गैसों को अवशोषित कर सकते हैं। वे प्रदूषकों को अपने पत्तों और तनों पर फँसा कर हवा को साफ करते हैं। विशेष रूप से, घनी पत्तियों वाले पेड़ जैसे नीम, पीपल, और बरगद प्रदूषकों को अवशोषित करने में बहुत प्रभावी होते हैं।
मृदा अपरदन को रोकना: पौधों की जड़ें मृदा को बांध कर रखती हैं और मृदा अपरदन को रोकती हैं। यह जल प्रदूषण को भी कम करता है क्योंकि मृदा अपरदन से नदियों और झीलों में मृदा का प्रवाह होता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।
जल चक्र को संतुलित करना: पौधे जल वाष्पीकरण के माध्यम से जल चक्र को संतुलित रखते हैं। वे जड़ों के माध्यम से भूमिगत जल को अवशोषित करते हैं और पत्तियों के माध्यम से वाष्पित करते हैं, जिससे वातावरण में नमी बढ़ती है और वर्षा की संभावना बढ़ती है।
ध्वनि प्रदूषण को कम करना: पौधों की घनी हरियाली शोर को अवशोषित कर सकती है और उसे कम कर सकती है। हरे-भरे पेड़ और झाड़ियाँ ध्वनि तरंगों को अवशोषित करते हैं और उसे फैलने से रोकते हैं, जिससे शोर प्रदूषण कम होता है।
कुछ महत्वपूर्ण पौधे
नीम (Azadirachta indica): नीम का पेड़ अपने औषधीय गुणों के साथ-साथ वायु शुद्धिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बरगद (Ficus benghalensis): बरगद का पेड़ अपने विशाल आकार और घनी पत्तियों के कारण वायु को शुद्ध करने और मृदा अपरदन को रोकने में मदद करता है।
पीपल (Ficus religiosa): पीपल का पेड़ वायुमंडलीय ऑक्सीजन के उच्च उत्पादक के रूप में जाना जाता है और वायु शुद्धिकरण में महत्वपूर्ण है।
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को हल करने में पौधों की भूमिका अविस्मरणीय है। वे न केवल वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके ग्लोबल वार्मिंग को कम करते हैं, बल्कि वायु, जल, और मृदा प्रदूषण को भी नियंत्रित करते हैं। पौधों के संरक्षण और अधिक से अधिक पौधारोपण के प्रयास हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण की दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।
इसलिए, हमें अपने आसपास अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित कर सकें।
सौरभ पाण्डेय
Prakritiwad.com
Source- हिन्दुस्तान समाचार पत्र