सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि राजधानी दिल्ली में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई ने लोगों को भीषण गर्मी में झोंक दिया है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली सरकार, डीडीए, नगर निगम समेत सभी स्थानीय निकायों को राजधानी में हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए बैठक करने का निर्देश दिया।
अदालत की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना दिल्ली के रिज क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई के मामले में डीडीए उपाध्यक्ष के खिलाफ चल रहे अवमानना मामले की सुनवाई करते हुए, पीठ ने दिल्ली सरकार, वन एवं पर्यावरण विभाग, वृक्ष प्राधिकरण, दिल्ली नगर निगम, और डीडीए को नोटिस जारी कर पेड़ों की अवैध कटाई पर जवाब मांगा है। अदालत ने बिना अनुमति के पेड़ों की कटाई को गंभीरता से लिया है और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
मामले की पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज इलाके में बिना अनुमति के पेड़ काटे जाने पर उपराज्यपाल के दौरे की जानकारी न देने पर डीडीए को फटकार लगाई। पीठ ने 24 जून को डीडीए उपाध्यक्ष को स्पष्ट शब्दों में यह बताने का आदेश दिया था कि क्या उपराज्यपाल के निर्देश पर रिज इलाके में पेड़ काटे गए।
दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी पर निशाना साधते हुए कहा है कि डीडीए के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोल रहे हैं। भारद्वाज ने आरोप लगाया कि 3 फरवरी को एलजी सतबरी वन क्षेत्र का दौरा करने गए थे और उन्होंने पेड़ों को काटने के लिए मौखिक निर्देश जारी किए थे। उन्होंने कहा कि बिना अनुमति के पेड़ों को काटना कानूनी अपराध है और दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

वन मंत्री की मांग
दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने रिज क्षेत्र में बिना अनुमति के 1100 पेड़ों की कटाई के मामले में अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने गुरुवार को रिपोर्ट पेश करने को कहा है। रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में एक एनजीओ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है।
अदालत की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डीडीए उपाध्यक्ष को अवमानना का नोटिस दिया गया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी वरिष्ठ अधिकारी ने कुछ गलत किया है, तो अदालत को सही जानकारी दी जानी चाहिए। न्यायालय ने डीडीए से यह भी पूछा है कि रिज क्षेत्र में काटे गए पेड़ों की लकड़ी का क्या हुआ।
सुप्रीम कोर्ट की इस कार्रवाई से स्पष्ट है कि राजधानी दिल्ली में हरित क्षेत्र को संरक्षित करने और बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। बिना अनुमति के पेड़ों की कटाई को रोकने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से ही शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
सौरभ पाण्डेय
prakritiwad.com
source- हिन्दुस्तान समाचार पत्र