सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान

saurabh pandey
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नई दिल्ली, मुख्य संवाददाता। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) ने सिंगल यूज प्लास्टिक|single use plastic| के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए कृषि भवन मार्केट के पास अभियान चलाया। इस दौरान लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण और स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी गई। मंगलवार को आयोजित इस अभियान में शामिल लोगों को बताया गया कि केंद्र सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को देखते हुए कई वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अभियान के दौरान प्लास्टिक वस्तुओं के विकल्पों के बारे में भी जानकारी दी गई। लोगों को बताया गया कि कैसे वे अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक की जगह अन्य सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल सामग्री का उपयोग कर सकते हैं। इसमें कपड़े के बैग, जूट बैग, स्टील और बांस के बने उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा दिया गया।

साथ ही बाजारों में दुकानदारों से भी इन पर लगे प्रतिबंधों का पालन करने की अपील की गई। दुकानदारों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि वे सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करें और अपने ग्राहकों को भी इसके प्रति जागरूक करें।

इस अभियान का उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना ही नहीं, बल्कि लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित करना भी था। NDMC ने यह संदेश दिया कि अगर हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित और स्वस्थ बना सकते हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक: एक बड़ा संकट

सिंगल यूज प्लास्टिक आज के समय में हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा संकट बन चुका है। यह प्लास्टिक, जो कि एक बार उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है, हमारे प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। इसके उपयोग और निपटान के कारण भूमि और जल प्रदूषण, वन्यजीवों को नुकसान और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

सिंगल यूज प्लास्टिक: एक व्यापक समस्या

सिंगल यूज प्लास्टिक, जैसे कि प्लास्टिक की थैलियां, बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स और अन्य वस्तुएं, हमारे दैनिक जीवन का एक हिस्सा बन गई हैं। ये उत्पाद सस्ते और सुविधाजनक होते हैं, लेकिन इनके उपयोग के बाद निपटान एक बड़ी समस्या बन जाता है।

भारत में, सिंगल यूज प्लास्टिक के व्यापक उपयोग के कारण प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। प्लास्टिक कचरे का सही तरीके से निपटान न होने के कारण यह हमारे नदी-नालों, समुद्रों और भूमि पर जम जाता है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि जीव-जंतुओं की मृत्यु भी हो जाती है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

सिंगल यूज प्लास्टिक के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। प्लास्टिक के उत्पादों में बिसफेनोल-ए (BPA) और फथालेट्स जैसे रसायन होते हैं, जो भोजन और पेय पदार्थों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। ये रसायन हार्मोनल असंतुलन, प्रजनन समस्याओं, और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

सरकार की पहल

इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारें सक्रिय हो गई हैं। केंद्र सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसमें कई प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध लगाना, जागरूकता अभियान चलाना, और वैकल्पिक उत्पादों को बढ़ावा देना शामिल है।

नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) ने भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में, NDMC ने कृषि भवन मार्केट के पास एक जागरूकता अभियान चलाया, जिसमें लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के नुकसान और इसके विकल्पों के बारे में जानकारी दी गई। इस अभियान में दुकानदारों से भी इन पर लगे प्रतिबंधों का पालन करने की अपील की गई।

विकल्प और समाधान

सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर कई विकल्प मौजूद हैं, जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं। इनमें कपड़े के बैग, जूट बैग, स्टील और बांस के बने उत्पाद शामिल हैं। इनका उपयोग न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखता है बल्कि यह एक स्थायी और स्वच्छ भविष्य की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

कई निजी कंपनियाँ और स्टार्टअप्स भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। वे बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं, जो प्लास्टिक का एक स्थायी विकल्प हो सकते हैं।

जागरूकता और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता

सिंगल यूज प्लास्टिक के संकट से निपटने के लिए जागरूकता और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। सरकार, निजी क्षेत्र, और आम जनता सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा।

हमें अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करने होंगे, जैसे कि प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े की थैलियों का उपयोग, प्लास्टिक की बोतलों की जगह स्टील की बोतलों का उपयोग, और प्लास्टिक के स्ट्रॉ की जगह पेपर या स्टील के स्ट्रॉ का उपयोग करना।

सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हमें अभी से कदम उठाने होंगे। सरकार, निजी क्षेत्र, और आम जनता के सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या का समाधान कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण प्रदान कर सकते हैं।

सौरभ पाण्डेय

Prakritiwad.com

Source- हिन्दुस्तान समाचार पत्र / शोध

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