भीषण गर्मी और महंगाई: खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि

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लंबे समय से जारी भीषण गर्मी और बारिश की कमी ने न केवल स्वास्थ्य बल्कि मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित किया है। महंगाई का सीधा संबंध कृषि से है, और जब खाद्य पदार्थ महंगे होते हैं, तो महंगाई रफ्तार पकड़ लेती है।

खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें

कई महीनों से खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। मई में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 8.69 फीसदी और अप्रैल में 8.70 फीसदी रही। उपभोक्ता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, भीषण गर्मी ने महंगाई को और बढ़ा दिया है। उत्तर भारत में अब तक मानसून की बारिश 70 फीसदी कम हुई है, जिससे उत्पादन में कमी आई है। दूसरी ओर, भीषण गर्मी के कारण उत्पादन बाजार की पहुंच से बाहर रहा।

सब्जियों की कमी और मांग में वृद्धि

हरी सब्जियों के दाम बढ़ने के कारण उपभोक्ताओं का रुझान आलू और दालों की ओर हो गया है, जिससे आलू और दालें भी बाजार से गायब होने लगी हैं। लगातार तीन महीने तक भीषण गर्मी पड़ने से आलू और दालों की मांग और जरूरत बढ़ गई है। अप्रैल से ही देश का बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी की चपेट में है, जिससे पानी की कमी के कारण हरी सब्जियां खेतों में ही सूख गईं।

प्याज और अन्य सब्जियों की स्थिति

देश के लगभग आधे हिस्से में तापमान सामान्य से पांच से नौ डिग्री सेल्सियस अधिक रहा, जिससे प्याज, टमाटर, बैगन और पालक जैसी सब्जियों के पौधे सूखने लगे और खेतों में उगी सब्जियां खराब होने लगीं। प्याज के उत्पादन में 20 फीसदी की गिरावट के बीच सरकार ने रबी सीजन में बफर स्टॉक के लिए 71 हजार टन प्याज खरीदा है। पिछले साल भी प्याज खरीद की रफ्तार यही रही थी। बाजार में प्याज की उपलब्धता बनाए रखने के लिए सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था।

मानसून से उम्मीदें

उपभोक्ता मंत्रालय को मानसून से उम्मीद है कि आईएमडी ने इस बार अच्छे मानसून का अनुमान जताया है। सब्जियों की खेती भी अच्छी होने की संभावना है। उपभोक्ता सचिव निधि खरे को भरोसा है कि खरीफ की बुवाई की गति और कवरेज बढ़ने के साथ ही अगले महीने से दालों और सब्जियों की कीमतों में नरमी आएगी। भंडारण में रखे आलू भी बाजार में पहुंच जाएंगे। हालांकि, गर्मियों में हरी सब्जियों की आपूर्ति सामान्य से कम हो गई है, जिससे प्याज और अन्य सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं।

भीषण गर्मी और मानसून की कमी ने खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि का कारण बना दिया है, जिससे मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है। सरकार की ओर से बफर स्टॉक और निर्यात प्रतिबंध जैसे उपायों के बावजूद, बाजार में सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतें नियंत्रण में नहीं आ पा रही हैं। आगामी मानसून से सब्जियों की आपूर्ति और कीमतों में स्थिरता की उम्मीद की जा रही है।

सौरभ पाण्डेय

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source- दैनिक जागरण

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