जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने एक महत्वाकांक्षी कार्य योजना तैयार की है, जिसे केंद्रीय सरकार की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत 2030 तक 400 क्लाइमेट स्मार्ट गांव स्थापित किए जाएंगे, जिनका मुख्य उद्देश्य पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह समाप्त करना है। साथ ही, इस अवधि के दौरान राज्य में पेड़ के कवर को 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रयास भी किया जाएगा।
हाल के वर्षों में मौसम में काफी बदलाव देखने को मिला है। मई के मध्य से हीट वेव और झुलसाने वाली गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया है। 28 मई को सिरसा में तापमान 50.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो एक रिकॉर्ड है। यह सब जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है।
इस योजना का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए स्थायी जीवनशैली, स्वच्छ आर्थिक विकास, जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को कम करना और हरियाली को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही, जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की हिस्सेदारी को बढ़ाने, कार्बन सिंक (वन) अनुकूलन, वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा क्षमता निर्माण पर भी ध्यान दिया जाएगा। पारंपरिक डीजल-पेट्रोल वाहनों के बजाय इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा, कोयले से उत्पन्न बिजली के स्थान पर सौर ऊर्जा और सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित किया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन पर अनुसंधान को मिलेगा बढ़ावा
विश्वविद्यालयों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता पर अनुसंधान को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। विभिन्न विश्वविद्यालयों में जल, वायु, पृथ्वी, वन और ऊर्जा क्षेत्रों में अंतर्विभागीय अनुसंधान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। एक अन्य अंतःविषय केंद्र कचरे को उपयोगी उत्पादों में बदलने की प्रक्रिया और प्रौद्योगिकी पर शोध करेगा। शोध के माध्यम से कृषि और आजीविका के साधनों पर जलवायु परिवर्तन के अप्रत्याशित प्रभावों से निपटा जाएगा। अनुसंधान कार्य के लिए विश्वविद्यालयों का चयन प्रतिस्पर्धा के आधार पर किया जाएगा।
राज्यस्तरीय स्टीयरिंग समिति ने तैयार किया संशोधित राज्य कार्य योजना
राज्यस्तरीय स्टीयरिंग समिति ने जलवायु परिवर्तन पर एक संशोधित राज्य कार्य योजना तैयार की है। विभिन्न गतिविधियों के लिए 10 वर्षों में 39 हजार 372 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।
क्लाइमेट स्मार्ट गांवों की विशेषताएँ
क्लाइमेट स्मार्ट गांवों की कई विशेषताएँ होंगी। इन गांवों में कोई फसल अवशेष नहीं जलाया जाएगा। किसानों को क्लाइमेट स्मार्ट खेती के तरीकों के बारे में सिखाया जाएगा, जैसे कि अवशेषों का सही तरीके से उपयोग और उनसे आय प्राप्त करने के तरीके। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को कम करने के साथ-साथ, उन्हें पानी, ऊर्जा, कार्बन और प्रौद्योगिकी के स्मार्ट उपयोग के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा।