वॉशिंगटन, एजेंसी – जलवायु संकट का सामना पूरी दुनिया कर रही है। इससे बचाव के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आर्कटिक का पिघलता बर्फ एक बड़ी चेतावनी है। इस बीच वैज्ञानिकों ने एक वायरस की खोज की है जो उन शैवालों को अपना आहार बना लेंगे जिससे ये बर्फ तेजी से पिघलते जा रहे हैं।
बड़े आकार के होने के बावजूद इन वायरसों को नन आंखों से देखना असंभव है। बर्फ से लिए गए डीएनए सैंपल के बाद इसका विश्लेषण किया गया और तब इसकी जानकारी हुई। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे शैवालों के फैलने की गति धीमी हो जाएगी।
आरहस यूनिवर्सिटी के एन्वायर्नमेंटल साइंस विभाग से लॉरा पेरीनी और उनकी टीम ने खुलासा किया कि बर्फ की चादर पर ये वायरस शैवाल को अपना आहार बनाते हैं। ये शैवाल हमेशा तेजी से बर्फ के पिघलने का कारण होते हैं। इससे ग्रीनहाउस गैस का असर अधिक बढ़ रहा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नई खोज से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इस वायरस के प्रभाव और सुरक्षा को लेकर अभी और शोध की आवश्यकता है। अगर यह वायरस सफल साबित होता है, तो यह आर्कटिक की बर्फ को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।