नई दिल्ली। 2023 में दुनिया भर की सड़कों पर 36 करोड़ से ज्यादा एसयूवी दौड़ रही थीं। इनकी वजह से 100 करोड़ टन से ज्यादा कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जित हुई है। दुनिया बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित है क्योंकि एसयूवी गाड़ियों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार 2023 में वैश्विक स्तर पर जितनी कारें बिकीं उनमें एसयूवी की हिस्सेदारी 48 फीसदी रही।
विश्लेषण का कहना है कि पेट्रोल और डीजल एसयूवी कारों से बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय है। इन कारों की संख्या में इजाफा के साथ प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। यह बढ़ता उत्सर्जन स्वास्थ्य के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन को द्रुतिगामी बना रहा है। एसयूवी बड़ी चुनौतियां उत्पन्न कर रही हैं क्योंकि इनका औसत वजन एवं मध्यम आकार की कारों से 200 से 300 किलोग्राम ज्यादा होता है। इसी तरह अन्य कारों की तुलना में इनकी मोटर ज्यादा ऊर्जा खपत करती है। आईईए के अनुसार ये सामान्य कारों के मुकाबले लगभग 20 फीसदी अधिक कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित करती हैं।
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची एसयूवी की बिक्री, 2023 में 48 फीसदी हिस्सेदारी
भारी गाड़ियां ज्यादा लोकप्रिय हो रही हैं। वित्तवर्ष 2023 में पिछले वर्ष एसयूवी की बिक्री का आंकड़ा पार कर गई। यह पहली बार है जब इन गाड़ियों ने कार बाजार पर 50 प्रतिशत हिस्सेदारी को छूआ है। अनुमान है कि 2023 के अंत तक यह आंकड़ा 500 से अधिक देशों में बढ़ सकता है। दुनिया भर में एसयूवी की बिक्री में पिछले पांच वर्षों में 5% वृद्धि हुई है, जिनमें से अधिकांश बड़े शहरों में केंद्रित हैं।
हर दिन पहले से छह लाख बैरल अधिक तेल का इस्तेमाल
आईईए का विश्लेषण कहता है कि इन भारी और ऊर्जावान एसयूवी गाड़ियों की वजह से हर दिन पहले से कहीं ज्यादा तेल की खपत हो रही है। यह खपत आने वाले समय में और भी बढ़ने का अनुमान है। इसके कारण ऊर्जा की मांग और कीमतों पर प्रभाव पड़ रहा है।
भविष्य में बढ़ेंगे इलेक्ट्रिक वाहन
2023 में पेट्रोल, डीजल से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन बढ़ा है। कुछ बड़े बाजारों में इसकी बिक्री 2022 के मुकाबले दोगुनी हो गई है। 2023 के अंत तक, लगभग 50 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों के बिकने का अनुमान है।
दुनिया को इस बढ़ते प्रदूषण के ट्रेंड को रोकने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और प्रदूषण नियंत्रण उपायों की आवश्यकता है। 2022-2023 से यह संकेत मिलता है कि भविष्य में बढ़ती तेल की खपत और एसयूवी गाड़ियों के इस्तेमाल को रोकना अत्यावश्यक है।