ग्रीन हाउस उत्सर्जन में कमी लाने को बनाया गया आधार
नई दिल्ली। पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) 2024 के अनुसार 180 देशों में भारत 27.6 अंकों के साथ 176वें पायदान पर है। जबकि जलवायु परिवर्तन सूचकांक में भारत 35 अंकों के साथ 133वें स्थान पर है। वायु गुणवत्ता के मामले में दक्षिण एशिया में भारत को 6.8 अंकों के साथ पांचवें पायदान पर रखा गया है। यह सूचकांक अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के पर्यावरण कानून एवं नीति केंद्र ने जारी किया है।
ईपीआई स्कोर यह बताता है कि पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए देशों ने किस तरह के प्रयास किए और उनका प्रदर्शन कैसा रहा। देशों के बीच इस बात की भी तुलना की गई है कि किस देश का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। इसमें संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य, 2015 पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते और कुन्मिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचे के पालन के आधार पर देशों का मूल्यांकन किया गया है।
कई मानक रखे गए
सूचकांक 2024 में उभरते लक्ष्यों और हाल की पर्यावरणीय रिपोर्टों के जवाब में कई नए मानक शुरू किए गए हैं। उदाहरण के लिए, सूचकांक में इस साल अलग-अलग देशों द्वारा ग्रीनहाउस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने में की गई प्रगति को देखा गया। देशों का मूल्यांकन इस आधार पर किया गया कि उन्होंने कितनी तेजी से अपने उत्सर्जन को कम किया है और वे नेट-जीरो लक्ष्य के कितने करीब हैं।
पांच देशों ने उत्सर्जन में भारी कमी
पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक के अनुसार पहले की तुलना में अधिक संख्या में देशों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आ रही है। जबकि पांच देश ऐसे हैं जिन्होंने अपने उत्सर्जन में भारी कमी को है। यदि वे अपनी वर्तमान दर पर कटौती जारी रखते हैं तो 2050 तक नेट-जीरो लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। इन पांच देशों में एस्टोनिया, फिनलैंड, म्यांमार, सिंगापुर और यूके शामिल हैं। अमेरिका का उत्सर्जन में कमी आ रही है, लेकिन इसकी गति बहुत कम है।इस सूची में वह 34वें स्थान पर है। जबकि चीन, रूस और भारत में पिछले वर्षों की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की उच्च दर बनी हुई है।