चांग ई-6 मिशन की सफलता चीन के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बड़ा कदम साबित होगी। यह मिशन न केवल चीन की वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान में वैश्विक सहयोग को भी बढ़ावा देगा। चीन अंतरिक्ष में ऐतिहासिक सफलता हासिल करने की ओर है। चीन का चंद्रयान चांग ई-6 मंगलवार को चंद्रमा की सतह से चट्टान का नमूना लेकर पृथ्वी पर वापस लौट रहा है। ऐसा पहली बार होगा जब कोई देश चंद्रमा के इस दूसरे क्षेत्र एटकेन बेसिन से चट्टान का नमूना लेकर पृथ्वी पर लौटेगा। चांग ई-6 के धरती पर 25 जून को उतरने की संभावना है। चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) ने घोषणा की कि मंगलवार सुबह स्पेसर ने चंद्रमा के दूसरे इलाके से नमूने लेकर चांद की पूर्व निर्धारित कक्षा में प्रवेश किया। चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि मंगलवार को चांग ई-6 ने लैंडिंग के समयानुसार सुबह 7:38 पर चांद की सतह को छू लिया। इसके तीन सप्ताह बाद चीन के इनर मंगोलिया क्षेत्र में उतरने की संभावना है।
चांग ई-6 की लैंडिंग की थी, वहां कभी भी सूर्य की किरणें नहीं पहुंची हैं। यह पृथ्वी से नजर न आने वाला हिस्सा है। चांग ई-6 इस हिस्से से 2 किलो नमूना लेकर पृथ्वी पर लौटेगा। यहां अबतक कोई दूसरा देश नहीं पहुंच पाया है। वहीं, दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले पहुंचने वाला देश भारत है। यहां पिछले वर्ष चंद्रयान-3 ने सफलता हासिल की थी।
अर्बिटर, रिटर्नर, लैंडर और एसेंडर से युक्त चांग ई-6 प्रोज ने तीन मई को लॉन्ग मार्च-5 रॉकेट की मदद से हेनान के दक्षिणी द्वीप स्थित वेनचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से भेजा गया था। चीन का चांग ई-6 प्रोज चंद्रमा के सबसे बड़े क्रेटर दक्षिणी ध्रुव-एटकेन बेसिन में चट्टानों का नमूना लेने वाला है। माना जा रहा है कि चंद्रमा के इस क्षेत्र के नमूने के विश्लेषण से चंद्रमा के निर्माण की बेहतर जानकारी मिल सकती है।