नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से देश में हीटवेव (लू) का खतरा 45 गुना बढ़ गया है। जलवायु बदलाव के चलते भारत के तीन तिहाई हिस्सों में अत्यधिक गर्मी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। एक नए अध्ययन के मुताबिक, लू की घटनाएं अधिक हो गई हैं, उनकी अवधि लंबी हो गई है, तीव्रता बढ़ी है और उनका विस्तार भी बड़े क्षेत्रों में हो रहा है।
लू की बढ़ती गर्मी और खतरा
क्लाइमेट ट्रेंड्स के विश्लेषण में पाया गया कि हर 10 साल में एक बार आने वाली भीषण लू अब 2.8 गुना अधिक बार आ रही है और यह लू 1.5 डिग्री अधिक गर्म हो गई है। इसका मुख्य कारण बढ़ती गर्मी और कम नमी है, जो अधिक शुष्कता का कारण बन रही है। “नेचर जर्नल” में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, लगातार तीसरे साल अत्यधिक गर्मी का खतरा बना हुआ है। दिल्ली में अत्यधिक तापमान दर्ज किया गया है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण मंगेशपुरी में तापमान 52.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचना है। इससे पहले 2002 में इसी इलाके का तापमान 49.2 डिग्री दर्ज किया गया था।
रात का तापमान भी बढ़ा
देश के 45 शहरों में जहां दिन का अधिकतम तापमान 45 डिग्री से ज्यादा दर्ज किया गया है, वहीं रात के तापमान में भी बढ़ोतरी हुई है। 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रात का तापमान दर्ज किया गया है, जिससे जीवन असामान्य रूप से प्रभावित हो रहा है।
मई में लू का प्रभाव चौगुना
मौसम विभाग के अनुसार, सामान्य रूप से मई में लू की लहरें चलती हैं। इस साल मई में लू का प्रभाव राजस्थान और गुजरात के कुछ इलाकों में 9-12 दिन, पश्चिम और मध्य भारत में 6-7 दिन, और मध्य पूर्व भारत में 3-6 दिन रहा। इस साल की गर्मी स्थिर मौसम पैटर्न और अल नीनो के प्रभाव के कारण और अधिक घातक हो गई है।
विशेषज्ञों की राय
क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा, “हीटवेव देश के लिए बड़े खतरे के तौर पर है। इससे सेहत, जीवनशैली और आर्थिक प्रभाव पड़ने वाले संकटों से निपटने की रणनीति बनाने की जरूरत है।”
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के अक्षय देवरस ने कहा, “इस साल की गर्मी स्थिर मौसम पैटर्न और अल नीनो के प्रभाव के कारण घातक है। जलवायु बदलाव के चलते हीटवेव की तीव्रता, आवृत्ति और विस्तार बढ़ रहा है।”
देश के 50 फीसदी तक हिस्सों में अत्यधिक गर्मी पहुंच सकती है, जो जीवन के लिए गंभीर खतरा है। सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने की जरूरत है।