नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। राजधानी दिल्ली में पानी की भीषण किल्लत के चलते दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शुक्रवार को दायर की गई याचिका में दिल्ली सरकार ने हरियाणा को आदेश देने की मांग की है कि वह पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़े। साथ ही, हिमाचल प्रदेश द्वारा दिए जा रहे अतिरिक्त पानी को भी दिल्ली तक पहुंचाने की मांग की गई है।
दिल्ली सरकार का कहना है कि यदि यह पानी नहीं पहुंचा, तो राजधानी में भीषण संकट उत्पन्न हो सकता है और दिल्लीवासियों को प्यास से जूझना पड़ेगा। सरकार ने इस मामले को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमापूर्ण एवं पर्यावरणीय जीवन के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया है।
यमुना जलस्तर की स्थिति
दिल्ली सरकार ने बताया कि यमुना नदी का जलस्तर 674 फीट होना चाहिए, जबकि वर्तमान में यह सिर्फ 670 फीट है। इससे जल संकट और अधिक गंभीर हो गया है।
उप-राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बयान
उप-राज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा, “दिल्ली में पानी की कमी सिर्फ और सिर्फ सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा है। दिल्ली सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और लोगों को गुमराह कर रही है।”
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “भाजपा के धरना-प्रदर्शन से जल समस्या हल नहीं होगी। राजनीतिक रोटियां सेंकने के बजाय, हम मिलकर लोगों को राहत दिला सकते हैं। पंजाब, यूपी, और हरियाणा से अतिरिक्त पानी दिलवा दें तो राहत मिल जाएगी।”
सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत की मांग
याचिका में कहा गया है कि यह किसी भी अंतर-राज्यीय जल विवाद के लिए नहीं है, बल्कि दिल्ली के नागरिकों के जीवन जीने के अधिकार की रक्षा के लिए है। यह कोई राजनीतिक या निजी स्वार्थ का मुद्दा नहीं है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से त्वरित अंतरिम राहत के तौर पर पानी देने का आदेश देने की मांग की है।
दिल्ली की स्थिति
दिल्ली में पानी की किल्लत के चलते दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। अस्पतालों में इलाज बाधित हो गया है, स्कूलों में पीने के पानी की आपूर्ति ठप हो गई है। कोविड जैसी महामारी के समय से ही दिल्ली के जल वितरण पर दबाव बढ़ता चला गया है, जिसे और बढ़ाया नहीं जा सकता।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि दिल्ली में पानी का संकट गहराता जा रहा है, इसलिए तत्काल आदेश जारी कर दिल्ली को पानी उपलब्ध कराया जाए।