धरती के करीब 40% हिस्से में सर्वाधिक दैनिक तापमान दर्ज किया गया
अमर उजाला रिसर्च डेस्क
नई दिल्ली। भारत ही नहीं पूरी दुनिया में गर्मी के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। हां नहीं, दुनियाभर में तापमान के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। ब्रिटेन में जुलाई 2022 में पहली बार तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार किया। चीन के उत्तर-पश्चिम में एक छोटे से शहर में पिछले साल 52 डिग्री ताप पहुंचा, जो अब तक के लिए अब तक का सबसे अधिक तापमान था। 2021 में इटली के सिसिली में 48.8 डिग्री ताप पहुंचा, जो यूरोप में सर्वाधिक रहा।
ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं। जलवायु परिवर्तन पर कैम्ब्रिज ब्रिटेन स्थित प्रकाशन में नवीन शोध कहता है कि धरती का ताप लगातार बढ़ रहा है। 2013 से 2023 के बीच पृथ्वी के करीब 40 प्रतिशत हिस्से में अब तक का सर्वाधिक दैनिक तापमान दर्ज किया गया था।
हालांकि, पृथ्वी पर अब तक का सबसे अधिक तापमान अमेरिका के कैलिफोर्निया के डेथ वैली में दर्ज किया गया था। 10 जुलाई, 1913 को यहां 56.7 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था, जो 111 साल पहले का रिकॉर्ड है।
लीबिया के दावे निकले गलत
कुछ रिपोर्ट्स ऐसी भी हैं, जिनकी पुष्टि नहीं हो पाई। लीबिया के अल अजीजिया के नाम 90 साल तक सबसे ज्यादा तापमान वाली जगह का रिकॉर्ड रहा। 13 सितंबर, 1922 को लीबिया में 57.8 डिग्री सेल्सियस का तापमान रिकॉर्ड किया गया था। 2012 में विश्व मौसम संगठन ने इस दावे को गलत पाया।
दिल्ली के मुंगेशपुर का तापमान निकला गलत
दिल्ली के मुंगेशपुर में बुधवार को 52.9 डिग्री सेल्सियस तापमान की बात कही गई, लेकिन मौसम विभाग ने इसे खारिज करते हुए कहा कि मुंगेशपुर केंद्र की मानिटरिंग सही नहीं थी। आंकड़े पर गौर करने से यह स्पष्ट हो गया कि इस जगह का तापमान किसी भी तरह 52.9 डिग्री सेल्सियस तक नहीं पहुंच सकता। इससे पहले दिल्ली का सर्वाधिक तापमान 46.8 डिग्री सेल्सियस था जो पालम में 1944 के बाद सबसे अधिक था।
भारत के तापमान 1900 के स्तर की तुलना में 0.7 डिग्री बढ़ा: शोध के अनुसार अगले पांच वर्षों का अनुमान लगाया गया है कि पिछले दस वर्षों तक पृथ्वी के औसत तापमान में 1.59 डिग्री वृद्धि हो चुकी है और 2024 तक इसमें और वृद्धि होने की उम्मीद है।
भारत में तापमान 1900 के स्तर की तुलना में 0.7 डिग्री बढ़ा: भारत के मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार औसत तापमान 1900 के स्तर की तुलना में लगभग 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। यह दुनियाभर में औसत भूमि तापमान में 1.59 डिग्री वृद्धि से काफी कम है। यदि महासागरों को भी इसमें शामिल किया जाए तो वर्तमान में वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से कम से कम 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक है। लेख इस बात पर जोर देता है कि दुनियाभर में तापमान तेजी से बढ़ रहा है और इससे जुड़ी समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है।