आठ वर्ष में बनी सोन नहर ,150 साल में मरम्मत तक नहीं , आठ जिलों में सूखे का खतरा

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बिहार के उत्तर-पश्चिमी जिलों में सोन नहर के सिचाई नेटवर्क की खराबी के कारण भूखंड के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। बाणसागर से कम पानी की आपूर्ति के कारण, 9 लाख हेक्टेयर ज़मीन को सही ढंग से सिंचाई नहीं की जा रही है, जिससे रोहतास, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, औरंगाबाद, पटना, गया और जहानाबाद में फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है। राज्य में सोन नहर की आपूर्ति को मजबूत करने के लिए 1981 में एक आधुनिकीकरण योजना बनाई गई थी, जिसकी लागत में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह सोन कमांड की सिचाई नेटवर्क के धीमे लेकिन स्थिर क्षीणता का कारण बन रहा है। लोग कह रहे हैं कि पानी की कमी के कारण आज सोन नदी का क्षेत्र मूंज जंगलों का एक वन और जंगली सुअरों का निवास स्थान बन गया है।

यह स्थिति बिहार के कृषि सेक्टर के लिए चिंताजनक है, क्योंकि सोन नहर के सिचाई नेटवर्क की खराबी के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित हो रहा है और भूखंड के खतरे का सामना किया जा रहा है। इस समस्या का निराकरण और सोन नहर के सिचाई नेटवर्क की मरम्मत के लिए तत्काल कदम उठाना महत्वपूर्ण है ताकि कृषि क्षेत्र को आवश्यक पानी प्रदान किया जा सके और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

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