भारत में हर साल सांप काटने से 46,000 लोगों की मौत होती है और करीब 146,000 लोग विकलांग हो जाते हैं। सर्पदंश से इतनी बड़ी आबादी प्रभावित होने के बावजूद सांपों के बारे में जानकारी अभी भी बहुत कम है। भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इस पर बहुत कम शोध हुआ है। आखिर सांप काटते क्यों हैं? यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने अनोखा प्रयोग किया।
116 सांपों पर 30 बार हुआ प्रयोग
शोध के दौरान 116 सांपों पर एक गिलास पर प्रयोग किया गया। उसके बाद उन्हें धमकाने के लिए गिलास को उनकी तरफ बढ़ाया गया। शोध में पाया गया कि सांप 30 बार गिलास पर हमला करते हैं। इस तरह कुल 4,480 बार सांप के काटने के प्रयासों का विश्लेषण किया गया।
सांपदंश का ‘जहर’ झेलने वाले ताजिंदगी दुनिया में चौथा देश
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल 27,000 लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं। भारत में सर्पदंश की समस्या गंभीर है और यहां सबसे अधिक मामले दर्ज होते हैं। दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के देशों में भी सर्पदंश की घटनाएं अधिक होती हैं।
40,000 बार खुद को सांप से कटवाकर एक वैज्ञानिक ने शोध के नतीजे तक पहुंचने के लिए
एक वैज्ञानिक ने अपने ऊपर इस प्रयोग को किया और पाया कि छोटे सांपों का जहर अधिक घातक होता है।
दक्षिणी अमेरिका का सबसे जहरीला सांप जराराका को चुना
इस सांप को उकसाने के लिए वैज्ञानिक ने बार-बार गिलास को सांप के पास ले जाया। शोध में रिसर्च जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि छोटे सांपों का जहर अधिक खतरनाक होता है और उनका काटने का मिजाज भी अलग होता है।
मादा सांप ज्यादा आक्रामक होते हैं
इस शोध में पाए गए जो नतीजे सामने आए, वह बिल्कुल चौंकाने वाले थे। मादा सांप, खासकर जब वे गर्भवती होती हैं, अधिक आक्रामक होती हैं।
सांप जितना छोटा होगा, उसके काटने की आशंका उतनी ही ज्यादा है।
मादा सांप ज्यादा आक्रामक होती हैं और उनके काटने का जहर अधिक घातक होता है।
ज्यादातर सांप दिन के समय काटते हैं और युवाओं के दौरान बहुत सक्रिय रहते हैं।
गर्मी के मौसम में सांप ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं।
भारत में सर्पदंश से मौतों की संख्या दुनिया में आधी
भारत में सांप की 300 प्रजातियां मिलती हैं। इनलैंड ताईपन दुनिया का सबसे जहरीला सांप माना जाता है। भारत में सर्पदंश की घटनाओं को कम करने के लिए जागरूकता और चिकित्सा सुविधा की पहुंच बढ़ाने की जरूरत है। अधिकतर ग्रामीण इलाकों में इन घटनाओं का प्रभाव ज्यादा देखा गया है।