जानलेवा नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में 52% कटौती से बच सकती हैं लाखों ज़िंदगियाँ

saurabh pandey
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वायु प्रदूषण और असामयिक मौतों पर लगाम लगाने का मौका

नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में 52% तक की कटौती से न केवल वायु प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि 8,17,000 असामयिक मौतों को भी रोका जा सकेगा। इससे ज़मीन के स्तर पर ओजोन की मात्रा घटेगी और फसलों की पैदावार में सुधार होगा।

नाइट्रोजन चक्र के खतरनाक स्तर पर पहुंचने की चेतावनी

धरती का नाइट्रोजन चक्र अब अपनी सीमाओं को पार करने की कगार पर है। कृषि और जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलने वाले नाइट्रोजन प्रदूषक, जैसे अमोनिया (NH3), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), और नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण बनते हैं। ये प्रदूषक न केवल मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि फसलों और पारिस्थितिकी तंत्र पर भी गहरा असर डालते हैं। ऊर्जा और भोजन की वैश्विक मांग बढ़ने के कारण यह समस्या और गंभीर हो सकती है।

नाइट्रोजन प्रदूषण कम करने की रणनीति पर जोर

हालांकि, वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने और पर्यावरण पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए नाइट्रोजन प्रदूषण को कम करने की तकनीकों और नीतियों पर अब तक उतना ध्यान नहीं दिया गया है, जितना देना चाहिए। पारंपरिक नाइट्रोजन बजट शोध हवा, पानी और मिट्टी में नाइट्रोजन के प्रवाह को ट्रैक करता है, लेकिन इसमें जैव-रासायनिक बदलावों की जानकारी नहीं होती। इस कमी को दूर करने के लिए, एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने नाइट्रोजन हस्तक्षेप के प्रभाव का मूल्यांकन किया।

अध्ययन से मिले महत्वपूर्ण निष्कर्ष

अध्ययन के मुताबिक, ईंधन के जलने की प्रक्रिया में सुधार, कृषि में नाइट्रोजन का कुशल उपयोग, और भोजन की बर्बादी को कम करने जैसे कदमों से वायु प्रदूषण, फसल नुकसान, और पारिस्थितिकी तंत्र के खतरों से होने वाली असामयिक मौतों को काफी हद तक रोका जा सकता है।

2050 तक, नाइट्रोजन प्रबंधन के तहत अमोनिया उत्सर्जन को 40% और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन को 52% तक कम किया जा सकता है। इससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी, लाखों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी, और फसलों की पैदावार को नुकसान से भी बचाया जा सकेगा।

अफ्रीका और एशिया को हो सकता है सबसे अधिक फायदा

शोध में यह भी बताया गया है कि अगर ये हस्तक्षेप नहीं किए गए, तो 2050 तक पर्यावरणीय नुकसान और भी गंभीर हो सकता है, जिसमें अफ्रीका और एशिया सबसे अधिक प्रभावित होंगे। हालांकि, अगर इन उपायों को अपनाया जाता है, तो यही क्षेत्र सबसे अधिक लाभान्वित होंगे।

2030 के मुकाबले 2050 में ज्यादा असरदार साबित होंगे उपाय

शोधकर्ताओं के अनुसार, नाइट्रोजन हस्तक्षेपों से समय के साथ इसके लाभ बढ़ते जाएंगे। 2030 की तुलना में 2050 तक ये उपाय अधिक प्रभावी साबित होंगे। पूर्वी और दक्षिण एशिया में, विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्रों में बेहतर कृषि पद्धतियों और तकनीकों को अपनाने से अमोनिया और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में सबसे बड़ी कमी आने की उम्मीद है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में एक कदम

इन हस्तक्षेपों से वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे कई क्षेत्रों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरिम लक्ष्यों को हासिल करना आसान हो जाएगा। साथ ही, जैसे-जैसे आबादी बढ़ेगी, खासकर विकासशील क्षेत्रों में, इन उपायों से स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव और भी बढ़ेंगे।

नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में 52% तक की कटौती, वायु प्रदूषण के स्तर को काफी हद तक कम करने और लाखों असामयिक मौतों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस दिशा में उठाए गए कदम, जैसे कृषि में नाइट्रोजन का कुशल उपयोग और ईंधन जलाने की प्रक्रिया में सुधार, न केवल पर्यावरण की रक्षा करेंगे बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाएंगे। खासतौर पर अफ्रीका और एशिया के विकासशील देशों को इसका सबसे अधिक फायदा मिल सकता है। यदि ये उपाय लागू किए जाते हैं, तो 2050 तक वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा, जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करना भी आसान हो जाएगा।

Source- down to earth

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