हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में 49% आबादी कई आपदाओं के साए में

saurabh pandey
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खतरों का घर बनता हिमालय: 3.6 करोड़ लोग अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में

हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में रहने वाली करीब 49% आबादी एक साथ कई आपदाओं के खतरे का सामना कर रही है। हाल ही में किए गए एक शोध के अनुसार, इस क्षेत्र में 3.6 करोड़ से अधिक लोग उन इलाकों में रह रहे हैं जो इन आपदाओं के लिए सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं। हालांकि हिमालय का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही इन जटिल आपदाओं का केंद्र है, लेकिन वहां एक साथ कई आपदाओं का खतरा सबसे ज्यादा है।

तेजी से शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से बढ़ रहा खतरा

नासा के सहयोग से किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि हिमालय क्षेत्र में तेजी से हो रहे शहरीकरण ने लोगों को खतरे में डाल दिया है। इस शोध में शामिल केरेन सी सेटो का कहना है कि शहरीकरण की यह लहर अपेक्षाकृत छोटे लेकिन खतरनाक क्षेत्रों में आबादी को केंद्रित कर रही है, जिससे आपदाओं का खतरा और बढ़ रहा है।

जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण का मिला-जुला असर

शोध में यह भी बताया गया है कि हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण ने आपदाओं के सम्मिलित खतरे को और अधिक खतरनाक बना दिया है। बाढ़, भूस्खलन और जंगल की आग जैसी घटनाओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है, जिससे इस क्षेत्र में रहने वालों की जिंदगी पर खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में जारी इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट भी इस खतरे की पुष्टि करती है।

आपदाओं की श्रृंखला: बदलती जलवायु के दुष्परिणाम

शोध के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाओं में तेजी आई है, जिससे पहाड़ी ढलान अस्थिर हो रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप भूस्खलन हो रहे हैं, जो जलमार्गों में बाधा उत्पन्न करते हैं। इसके अलावा, भारी बारिश और ग्लेशियरों के पिघलने से पानी का बहाव और तेज हो जाता है, जिससे विनाशकारी बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

खतरे के केंद्र में हिमालय की घाटियां

उपग्रहों से प्राप्त तस्वीरों और जमीनी अवलोकनों के आधार पर किए गए विश्लेषण से पता चला कि हिंदू कुश क्षेत्र की मध्यम ऊंचाई वाली गर्म घाटियां सबसे अधिक खतरे में हैं। यहां की मिट्टी में नमी की अधिकता के कारण आपदाओं का खतरा और बढ़ गया है। 2019 की आबादी के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में रहने वाली 49% आबादी इन खतरनाक क्षेत्रों में रहती है।

खतरों से निपटने के लिए व्यापक योजनाओं की जरूरत

शोध के प्रमुख जैक रस्क का कहना है कि अक्सर हिमालय को उच्च जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है, लेकिन उनके निष्कर्ष बताते हैं कि केवल एक छोटा सा हिस्सा ही इन जटिल आपदाओं के प्रति अतिसंवेदनशील है। हालांकि, आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक अवसरों के कारण लोग इन क्षेत्रों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे जोखिम और बढ़ रहा है।

बहु-आयामी आपदाओं से बचने के उपाय जरूरी

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस क्षेत्र में किसी एक आपदा से निपटने की योजना बनाने के बजाय, एक साथ कई आपदाओं के कारण पैदा होने वाले जोखिमों से निपटने के लिए व्यापक योजनाएं तैयार करने की जरूरत है। साथ ही, यहां के लोगों को इन खतरों से बचने के लिए प्रशिक्षित करने की भी आवश्यकता है। जैक रस्क के नेतृत्व में किया गया यह शोध जर्नल साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित हुआ है।

हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में एक साथ कई आपदाओं का खतरा लगातार बढ़ रहा है, जिसका मुख्य कारण तेजी से हो रहा शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन है। इस क्षेत्र की लगभग आधी आबादी इन खतरों के साए में रह रही है, जिससे उनकी सुरक्षा और आजीविका दोनों ही संकट में हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए सिर्फ एक आपदा पर ध्यान देने की बजाय, बहु-आयामी जोखिमों से बचाव के लिए व्यापक और समन्वित योजनाओं की आवश्यकता है। इसके साथ ही, स्थानीय समुदायों को इन आपदाओं के प्रति जागरूक और तैयार करना भी बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

Source- down to earth

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