लू का प्रकोप अब एक ज्वलंत सवाल बनता जा रहा है, और 2024 भी इससे अछूता नहीं है। गर्मी का मौसम आम बात है, लेकिन लू का प्रचंड रूप और उसकी अवधि चिंताजनक है। हीट स्ट्रेस, यानी वातावरण का इतना गर्म और नम होना कि शरीर खुद को ठंडा न रख पाए, इसकी वजह से पिछले कुछ समय में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसका सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से है। गर्मी की तपन कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में लू का प्रकोप चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। 2024 भी इससे अछूता नहीं रहा है। लू का बढ़ता हुआ खतरा न सिर्फ शारीरिक तकलीफ का कारण बन रहा है बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे रहा है।
इसका कारण क्या है? ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वातावरण से गर्मी बाहर नही जाने देता है, जिससे वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रहा है। यह गर्म होना मौसम के पैटर्न को बिगाड़ देता है, जिससे अत्यधिक गर्मी की घटनाएं लगातार और भीषण हो जाती हैं।
लू क्या है?
लू एक ऐसी मौसम स्थिति है जिसमें हवा का तापमान और आर्द्रता दोनों ही असामान्य रूप से उच्च स्तर पर पहुंच जाते हैं। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता को बाधित कर देता है, जिससे हीट स्ट्रेस की स्थिति पैदा हो जाती है। सरल शब्दों में कहें तो हमारा शरीर पसीने के माध्यम से खुद को ठंडा रखता है। लेकिन जब हवा पहले से ही नम हो, तो पसीना वाष्पित नहीं हो पाता और शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है।यही वह स्थिति है जिसे हम लू कहते हैं।
लू के कारण
लू का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से है। पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के निरंतर बढ़ते स्तर वातावरण को गर्म करने का काम करते हैं। यह गर्म हवा मौसम के पैटर्न को भी प्रभावित करती है, जिससे अत्यधिक गर्मी की घटनाएं लगातार और भीषण रूप मे हो रही हैं।
इसके अलावा, वनों की कटाई और शहरीकरण भी लू के प्रकोप को बढ़ाते हैं। वनो की लगातार कटाई पेड़ छाया प्रदान करते हैं और वाष्प उत्सर्जन के माध्यम से वातावरण को ठंडा रखने में मदद करते हैं। वनों के कम होने से यह प्राकृतिक शीतलन प्रणाली कमजोर पड़ जाती है। वहीं दूसरी ओर, शहरी क्षेत्रों में कंक्रीट और डामर का अत्यधिक उपयोग वातावरण को गर्म करने का काम करता है, जिसे “हिट आइलैंड” प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
लू का प्रभाव
लू का प्रभाव केवल असहजता तक सीमित नहीं है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है।
- हीट स्ट्रोक: यह लू का सबसे गंभीर परिणाम है। इसमें शरीर का तापमान तेजी से बढ़कर 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है। त्वचा गर्म और सूखी हो जाती है, पसीना नहीं आता और चक्कर आने, बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हीट स्ट्रोक तुरंत चिकित्सा सहायता न मिलने पर जानलेवा भी हो सकता है।
- लू लगना: यह हीट स्ट्रोक से कम गंभीर लेकिन फिर भी खतरनाक स्थिति है। इसमें थकान, कमजोरी, चक्कर आना, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द, जी मिचलाना और उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
- डिहाइड्रेशन: लू के कारण अत्यधिक पसीना आता है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। डिहाइड्रेशन से थकान, चक्कर आना, कब्ज, पेशाब का कम होना और किडनी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- पुरानी बीमारियों का बढ़ना: लू का असर उन लोगों पर भी पड़ता है जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी है, जैसे हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी और मधुमेह। लू के कारण इन बीमारियों के लक्षण और भी गंभीर हो सकते हैं।
इसके अलावा, लू का व्यापक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी पड़ता है। कार्यस्थल पर तेज गर्मी के कारण उत्पादकता कम हो जाती है। कृषि उत्पादन पर भी इसका असर फसलो के उत्पादन पे बुरा प्रभाव डालता है ।
हीट स्ट्रेस को कम करने के उपाय
गर्म हवाओं का दौर अब गर्मियों की पहचान बन चुका है और इनके साथ ही हीट स्ट्रेस का खतरा भी बढ़ जाता है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब शरीर खुद को ठंडा रखने में असमर्थ हो जाता है, जिसके कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं|हीट स्ट्रेस से लड़ने और सबसे गर्म दिनों में भी खुद को ठंडा रखने के उपाय मौजूद हैं। जिनको अपना कर हम खुद को सुरक्षित रख सकते है ।
हीट स्ट्रेस महत्वपूर्ण चिंता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां तापमान जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रहा है। यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसमें हीट एक्सहॉस्टन और हीटस्ट्रोक शामिल हैं। गर्मी के तनाव को कम करने और इसके प्रभावों से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
हाइड्रेशन और पोषण
- हाइड्रेटेड रहें: दिन भर में भरपूर पानी पिएं। शराब और कैफीनयुक्त पेय पदार्थों से बचें जो आपको डिहाइड्रेट कर सकते हैं।
- इलेक्ट्रोलाइट संतुलन: इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति करने वाले पेय पदार्थों का सेवन करें, विशेषकर अगर आप अधिक पसीना बहा रहे हैं। पानी की उच्च मात्रा वाले खाद्य पदार्थ, जैसे फल और सब्जियां, भी मदद कर सकते हैं।
- हल्के भोजन: बड़े और भारी भोजन के बजाय छोटे और बार-बार भोजन करें। ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जो उच्च प्रोटीन वाले हों क्योंकि वे शरीर में अधिक गर्मी पैदा कर सकते हैं।
कपड़े और आश्रय
- उपयुक्त कपड़े: ढीले, हल्के और हल्के रंग के कपड़े पहनें। कॉटन और लिनन अच्छे विकल्प हैं क्योंकि वे त्वचा को सांस लेने और पसीने को इवापोरेट करने देते हैं।
- टोपी और धूप का चश्मा: चौड़ी किनारी वाली टोपी और UV-संरक्षित धूप का चश्मा पहनकर अपने सिर और आंखों को सीधी धूप से बचाएं।
- आश्रय और छाया: दिन के सबसे गर्म हिस्सों में घर के अंदर रहें। यदि बाहर रहना आवश्यक हो, तो छाया में रहें या छाता का उपयोग करें।
पर्यावरणीय नियंत्रण
- वातानुकूलन: घर के अंदर के वातावरण को ठंडा रखने के लिए वातानुकूलन का उपयोग करें। यदि एयर कंडीशनिंग उपलब्ध नहीं है, तो मॉल या पुस्तकालय जैसे सार्वजनिक स्थानों पर समय बिताएं जो वातानुकूलित होते हैं।
- पंखे और वेंटिलेशन: हवा को संचारित करने के लिए पंखों का उपयोग करें और क्रॉस-ब्रीज बनाने के लिए खिड़कियाँ खोलें। हालांकि, यदि बाहर का तापमान अंदर से अधिक है, तो खिड़कियाँ बंद रखें और पर्दे खींचे रखें।
- ठंडा करने की तकनीक: ठंडी शावर या स्नान करें, या अपनी त्वचा पर गीले कपड़े का उपयोग करें। नाड़ी बिंदुओं (कलाई, गर्दन आदि) पर बर्फ के पैक या ठंडे कम्प्रेस का उपयोग भी मदद कर सकता है।
व्यवहार और गतिविधि
- शारीरिक गतिविधि को सीमित करें: गर्मी के चरम घंटों (आमतौर पर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक) के दौरान श्रमसाध्य गतिविधियों से बचें। बाहरी काम या व्यायाम को सुबह जल्दी या देर शाम के लिए निर्धारित करें जब ठंडा हो।
- आराम करें: यदि आप गर्म वातावरण में काम कर रहे हैं तो अक्सर ब्रेक लें। जब भी आप अत्यधिक गर्मी महसूस करें तो ठंडी जगह में आराम करें।
स्वास्थ्य की निगरानी
- लक्षण पहचानें: गर्मी से संबंधित बीमारियों जैसे हीट क्रैम्प्स, हीट एक्सहॉस्टन, और हीटस्ट्रोक के संकेतों के बारे में जागरूक रहें। लक्षणों में अत्यधिक पसीना, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, और भ्रम शामिल हो सकते हैं।
- चिकित्सा सहायता प्राप्त करें: यदि आप या कोई अन्य व्यक्ति हीटस्ट्रोक के लक्षण (उच्च शरीर का तापमान, बदला हुआ मानसिक स्थिति, गर्मी के बावजूद पसीना न आना) दिखाता है, तो तुरंत आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।
सामुदायिक और कार्यस्थल उपाय
- गर्मी जागरूकता कार्यक्रम: समुदाय और कार्यस्थलों को गर्मी के तनाव के जोखिमों और इससे बचाव के उपायों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए कार्यक्रम लागू करने चाहिए।
- वृक्षारोपण और शहरी हरित क्षेत्र: शहरों में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें ताकि छाया और ठंडक बढ़ सके। पार्क और हरित क्षेत्रों की संख्या बढ़ाएं और उनकी देखभाल करें।
- आपातकालीन सेवाएँ:आपातकालीन सेवाओं की तत्परता सुनिश्चित करें ताकि हीटस्ट्रोक के मामलों में तेजी से प्रतिक्रिया दी जा सके।हीट अलर्ट सिस्टम स्थापित करें जो गर्मी की लहरों के दौरान लोगों को सतर्क करें।
इन रणनीतियों को अपनाकर, व्यक्ति और समुदाय हीट स्ट्रेस को बेहतर ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं और स्वास्थ्य पर इसके संभावित हानिकारक प्रभावों को कम कर सकते हैं।
मनाली उपाध्याय
Prakritiwad.com