2023: नदियों के लिए सूखा वर्ष, जल संकट की चेतावनी

saurabh pandey
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विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की ताज़ा रिपोर्ट “स्टेट ऑफ ग्लोबल वॉटर रिसोर्सेज 2023” ने दुनिया भर में बढ़ते जल संकट की गंभीर तस्वीर पेश की है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2023, पिछले 33 वर्षों का सबसे सूखा साल साबित हुआ। यह रिपोर्ट भारत सहित विश्व की प्रमुख नदियों के जल स्तर में आई गिरावट और उसके पर्यावरणीय प्रभावों को उजागर करती है। इसके साथ ही, बढ़ते जल संकट के कारण आने वाले समय में होने वाली चुनौतियों का गहन विश्लेषण किया गया है।

नदियों का घटता जलस्तर

रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दुनिया की 50% से अधिक नदियों में जलस्तर सामान्य से कम था। गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेकांग और मिसिसिपी जैसी बड़ी नदियों के जलस्तर में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई। इसी तरह, अमेजन नदी का भी जलस्तर पिछले वर्षों की तुलना में बहुत कम रहा। रिपोर्ट के अनुसार, जल संकट के चलते कई देशों में पानी को लेकर संघर्ष बढ़ सकते हैं।

भूजल और जलाशयों का संकट

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि न सिर्फ नदियों, बल्कि भूजल और जलाशयों में भी पानी की कमी चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है। भारत, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया में जलाशयों का जलस्तर सामान्य से कम रहा। यह समस्या आने वाले समय में और बढ़ सकती है, क्योंकि इन संसाधनों के प्रबंधन में गंभीर खामियां हैं।

ग्लेशियरों का पिघलना: एक और खतरा

ग्लेशियरों से जुड़े आंकड़े भी डरावने हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में ग्लेशियरों ने 60,000 करोड़ टन से अधिक बर्फ खो दी। पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय आल्प्स में ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना चिंता का विषय है। ग्लेशियरों के पिघलने से न केवल जल आपूर्ति घट रही है, बल्कि इसके चलते बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ रहा है।

जलवायु परिवर्तन की बड़ी भूमिका

2023 अब तक का सबसे गर्म साल रहा, जिसने सूखे और बाढ़ जैसी चरम मौसमी घटनाओं को जन्म दिया। दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के कारण जलचक्र का संतुलन बिगड़ रहा है। शुष्क क्षेत्रों में सूखा और कुछ अन्य क्षेत्रों में बाढ़ का कहर देखने को मिला। डब्ल्यूएमओ के महासचिव प्रोफेसर सेलेस्टे साउलो ने इसे जलवायु परिवर्तन का चेतावनी संकेत बताया है।

भविष्य की चुनौतियां और समाधान

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते पानी की उपलब्धता तेजी से घट रही है, जिससे कृषि, उद्योग और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहे हैं। रिपोर्ट यह सुझाव देती है कि दुनिया को पानी के संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में गंभीर कदम उठाने होंगे। सीमाओं के पार सहयोग और बेहतर डेटा साझा करने से इस संकट से निपटा जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया की एक तिहाई आबादी पानी की कमी का सामना कर रही है। अगर जल संकट को हल करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो 2050 तक यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। इस रिपोर्ट के माध्यम से दुनिया को जल संकट से बचाने के लिए ठोस रणनीति तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

2023 विश्व की नदियों और जल संसाधनों के लिए एक बेहद चुनौतीपूर्ण वर्ष साबित हुआ, जिससे जल संकट की गंभीरता सामने आई। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान, और चरम मौसमी घटनाओं के कारण जलचक्र का संतुलन बिगड़ रहा है। नदियों के घटते जल स्तर, भूजल की कमी, और ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से आने वाले समय में दुनिया के कई हिस्सों में जल संकट और गंभीर हो सकता है।

यह रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि अगर पानी के संसाधनों का सही प्रबंधन नहीं किया गया, तो दुनिया भर में पानी की कमी और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ेगा। इसके समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, बेहतर डेटा संग्रह, और संसाधनों के प्रबंधन में सुधार आवश्यक है, ताकि भविष्य में जल संकट को टाला जा सके।

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