पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राज्य के 16 जिलों में अपनी टीमें तैनात की हैं। ये जिले वे हैं, जहां पिछले साल पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे। इन टीमों में वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं, जो 30 नवंबर तक राज्य में पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखेंगे।
पराली जलाने से बढ़ता वायु प्रदूषण
पंजाब सरकार द्वारा पराली जलाने की समस्या को रोकने के प्रयासों के बावजूद हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं। पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषण में लगातार इजाफा हो रहा है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इसके चलते सीपीसीबी ने इस साल राज्य में अतिरिक्त कदम उठाते हुए निगरानी बढ़ा दी है। इन उड़नदस्तों का मुख्य काम यह सुनिश्चित करना है कि पराली जलाने की घटनाओं को समय रहते नियंत्रित किया जा सके और किसानों को वैकल्पिक समाधान प्रदान किए जाएं।
किसानों के लिए वैकल्पिक समाधान
पराली के निपटान के लिए किसानों को मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके अलावा, पराली को ईंधन के रूप में उद्योगों में इस्तेमाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बावजूद, यदि किसान पराली जलाना जारी रखते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के चेयरमैन डॉ. आदर्शपाल विग ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट में वायु प्रदूषण पर विचार
पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन की अनुपालन रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर सकता है। इससे पहले कोर्ट ने वायु गुणवत्ता आयोग को फटकार लगाते हुए कहा था कि वह पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर रहा है। कोर्ट ने आयोग से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए उपकरणों का जमीनी स्तर पर सही तरीके से उपयोग हो।
पराली जलाने की घटनाओं में इजाफा
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। बुधवार को राज्य में 16 नए मामले सामने आए, जिससे कुल मामलों की संख्या 171 हो गई। इनमें सबसे ज्यादा मामले अमृतसर से आए हैं, जहां अब तक 83 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसके अलावा तरनतारन में 24 मामले सामने आए हैं। इन घटनाओं के मद्देनजर, सीपीसीबी की टीमें अगले कुछ महीनों तक इस पर कड़ी नजर रखेंगी और वायु गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करेंगी।
पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए सीपीसीबी और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। सीपीसीबी की 16 टीमें नवंबर तक पराली जलाने पर नजर रखेंगी और इसके प्रबंधन के लिए किए जा रहे उपायों की समीक्षा करेंगी।
पंजाब में पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जिसे नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सक्रिय कदम उठाए हैं। 16 जिलों में वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञों की टीमें तैनात कर, सरकार पराली प्रबंधन की प्रक्रिया को सख्ती से लागू करने का प्रयास कर रही है। किसानों को वैकल्पिक उपाय उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन यदि वे पराली जलाना जारी रखते हैं, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी गंभीर है, और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पर इसके लिए कड़े निर्देश दिए गए हैं। पराली जलाने के बढ़ते मामलों को देखते हुए, सीपीसीबी और राज्य सरकार को दीर्घकालिक समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।