भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) ने दक्षिण भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट पश्चिमी घाट क्षेत्र में मकड़ियों की दो नई प्रजातियों की खोज की है। इस महत्वपूर्ण खोज ने न केवल दक्षिण भारत की जैव विविधता को और अधिक उजागर किया है, बल्कि मिमेटस प्रजातियों की संख्या को भी बढ़ा दिया है।
नई प्रजातियों की पहचान
नई खोजी गई प्रजातियां – मिमेटस स्पिनेटस और मिमेटस पार्कुलस – दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता का प्रतीक हैं। इन दोनों प्रजातियों की खोज के साथ ही भारत में मिमेटस प्रजातियों की कुल संख्या तीन हो गई है, जिनमें से सभी प्रजातियां देश के दक्षिणी हिस्से से देखी गई हैं।
महत्वपूर्ण खोज और शोध टीम
जेडएसआई निदेशक डॉ. धृति बनर्जी ने इस खोज के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि पश्चिमी घाट क्षेत्र देश की जलवायु परिस्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र अपने अनूठे पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता के लिए जाना जाता है।
इस खोज को अंजाम देने वाली टीम में डॉ. सौविक सेन, डॉ. सुधीन पीपी, और डॉ. प्रदीप एम शंकरन शामिल थे। ये शोधकर्ता विशेष रूप से पश्चिमी घाट क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और उन्होंने इस क्षेत्र से महत्वपूर्ण डेटा और नमूने एकत्र किए हैं।
प्रजातियों की खोज के स्थान
- मिमेटस स्पिनेटस को कर्नाटक के मूकाम्बिका वन्यजीव अभयारण्य से एकत्र किया गया था।
- मिमेटस पार्कुलस को केरल के एर्नाकुलम जिले से प्राप्त किया गया था।
ये नई प्रजातियाँ न केवल भारत के दक्षिणी हिस्से की जैव विविधता को बढ़ाती हैं, बल्कि इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र की गहराई और महत्व को भी उजागर करती हैं। जेडएसआई की यह खोज जीवविज्ञान और पारिस्थितिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देती है, और यह भारत के वन्यजीवों और जैव विविधता की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस शोध ने यह साबित कर दिया है कि पश्चिमी घाट क्षेत्र में जैव विविधता की गहराई और अनूठापन कितना महत्वपूर्ण है, और यह इस क्षेत्र के संरक्षण और अध्ययन के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) द्वारा की गई मकड़ियों की दो नई प्रजातियों की खोज, मिमेटस स्पिनेटस और मिमेटस पार्कुलस, दक्षिण भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट पश्चिमी घाट क्षेत्र की अत्यधिक समृद्ध जैव विविधता को और भी स्पष्ट करती है। इस खोज ने भारत में मिमेटस प्रजातियों की संख्या को तीन तक बढ़ा दिया है और इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र की गहराई को उजागर किया है।
जेडएसआई की यह खोज न केवल भारतीय वन्यजीवों और जैव विविधता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पश्चिमी घाट के पारिस्थितिकी तंत्र की अनूठी विशेषताओं को भी दर्शाती है। शोधकर्ताओं की टीम द्वारा की गई यह महत्वपूर्ण खोज इस क्षेत्र के संरक्षण और अध्ययन में एक नई दिशा प्रदान करती है और भविष्य में और अधिक जैव विविधता की खोज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।