यमुना का संकट: पुनर्जीवन की चुनौती

saurabh pandey
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यमुना नदी, गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी, आज प्रदूषण और जल प्रवाह की कमी के कारण दिल्ली में दम तोड़ रही है। यमुनोत्री से प्रयागराज तक 1400 किलोमीटर की यात्रा करने वाली यमुना दिल्ली में करीब 50 किलोमीटर का क्षेत्र कवर करती है, लेकिन इसके प्रदूषण का 76% हिस्सा दिल्ली क्षेत्र से आता है। दिल्ली में गिरने वाले अनगिनत नालों के कारण यमुना की स्थिति भयावह हो गई है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना के पानी में घुली हुई ऑक्सीजन की कमी है और जैविक ऑक्सीजन की मांग का स्तर खतरनाक रूप से अधिक है।

प्रदूषण के स्रोत

दिल्ली एनसीआर में अवैध रंगाई फैक्ट्रियां, रसायन, और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की अपर्याप्तता इस प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। एसटीपी की क्षमता से अधिक सीवेज का उत्पादन और सरकारी भ्रष्टाचार ने इस संकट को और भी गहरा कर दिया है। बाढ़ के बावजूद यमुना साफ नहीं हो पाती क्योंकि प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है। नदी के किनारे अतिक्रमण भी एक बड़ी समस्या है, जिसे हटाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश दिए हैं।

पुनरुत्थान की राह

यमुना का पुनर्जीवन केवल सरकारी योजनाओं से संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए हरियाणा, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश के बीच समुचित समन्वय और ठोस योजनाओं का क्रियान्वयन आवश्यक है। नदियों से जुड़ी परियोजनाओं की नियमित समीक्षा और नालों, अनुपचारित सीवेज को रोकने के लिए कठोर उपाय किए जाने चाहिए। हथिनीकुंड बैराज से लगातार पानी छोड़ा जाना चाहिए ताकि यमुना में जल प्रवाह अविरल बना रहे।

यमुना सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और जीवन का अभिन्न हिस्सा है। इसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए समाज और सरकार को मिलकर प्रयास करना होगा, ताकि यह नदी पुनर्जीवित होकर हमारे भविष्य को सुरक्षित कर सके।

यमुना नदी का प्रदूषण आज एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसका समाधान केवल योजनाओं पर निर्भर नहीं है, बल्कि इसके लिए सरकार, समाज, और स्थानीय निकायों के बीच ठोस समन्वय की आवश्यकता है। नालों और सीवेज के प्रदूषण को रोकना, हथिनीकुंड बैराज से नियमित जल प्रवाह सुनिश्चित करना, और अतिक्रमण को समाप्त करना यमुना के पुनर्जीवन के महत्वपूर्ण कदम हैं। यमुना केवल एक जल स्रोत नहीं, बल्कि जीवन और संस्कृति का प्रतीक है, इसलिए इसे प्रदूषण मुक्त करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें नदियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी ताकि यमुना का पुनरुत्थान संभव हो सके और हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सके।

Source- dainik jagran

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