सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों पर सरकार और पुलिस से एक हफ्ते में मांगा जवाब

saurabh pandey
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दिवाली के बाद दिल्ली में बढ़े वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस कमिश्नर से पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के आदेशों के पालन के बारे में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं, ने एक हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करने को कहा है, ताकि यह साफ हो सके कि प्रतिबंध के बावजूद दिवाली के दौरान दिल्ली में इतनी बड़ी मात्रा में पटाखों का उपयोग कैसे हुआ। कोर्ट का मानना है कि प्रतिबंध के बावजूद पटाखों के कारण प्रदूषण में भारी वृद्धि देखी गई है, जिससे जनजीवन और पर्यावरण दोनों को खतरा है।

क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की दिवाली के दौरान दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में हुए प्रदूषण स्तर में बेतहाशा वृद्धि को लेकर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट का कहना है कि अगर प्रतिबंध लगाए गए थे, तो वे प्रभावी ढंग से लागू क्यों नहीं हुए? सुप्रीम कोर्ट का यह कदम नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर उठाया गया है। इसके अनुसार, सरकार और पुलिस को जिम्मेदारी निभाते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिबंधित वस्तुएं न बिकें और न ही जलें।

बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि दिल्ली में इस साल दिवाली के दौरान पिछले वर्षों की तुलना में प्रदूषण स्तर कहीं अधिक रहा। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिवाली के एक दिन पहले पराली जलाने की 160 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि दिवाली के दिन यह संख्या 605 तक बढ़ गई। इसका सीधा असर वायु की गुणवत्ता पर पड़ा और कई स्थानों पर हवा का स्तर “गंभीर” श्रेणी में आ गया।

दिल्ली सरकार और पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस पर सवाल उठाए हैं कि प्रतिबंध का प्रभावी पालन करने के लिए क्या कदम उठाए गए? कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या अन्य अवसरों जैसे चुनाव और शादियों के दौरान भी पटाखों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

दिल्ली में केवल दिवाली के दौरान ही नहीं, बल्कि अन्य मौकों पर भी ध्वनि और वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। इसका मुख्य कारण पटाखों का अनियंत्रित उपयोग है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दिल्ली सरकार को पटाखों पर प्रतिबंध के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए और उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

प्रदूषण से बढ़ते खतरे

पटाखों के बढ़ते उपयोग का सबसे ज्यादा असर दिल्ली की हवा की गुणवत्ता पर पड़ा है। हर साल दिवाली के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में भारी गिरावट देखी जाती है, जिससे शहर का प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। इसमें पराली जलाने की घटनाएं भी प्रमुख योगदान देती हैं। पंजाब, हरियाणा, और अन्य पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ता है, जो दिवाली के बाद और भी खतरनाक हो जाता है।

कोर्ट के आदेश और समाधान के सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कोई कानून बनाया गया है। कोर्ट का मानना है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन की जरूरत है ताकि पटाखे बेचने वालों और उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि अगर पटाखे बेचने वालों के परिसरों को सील करने जैसे कदम उठाए जाएं, तो यह प्रतिबंध प्रभावी हो सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को चाहिए कि वह दिवाली के दौरान जागरूकता अभियान चलाए और लोगों को बताए कि पटाखे जलाने से होने वाले प्रदूषण का उन पर और उनके आसपास के लोगों पर क्या असर पड़ सकता है।

सरकार और जनता की भूमिका

प्रदूषण की बढ़ती समस्या का समाधान केवल कानूनी आदेशों से नहीं हो सकता। सरकार और जनता दोनों को मिलकर इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है। दिल्ली सरकार को अपने नागरिकों को वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के खतरों से अवगत कराना चाहिए और पटाखों के बजाय पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

जनता को भी यह समझना होगा कि त्योहार मनाने के और भी तरीके हो सकते हैं जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के अनुकूल हों। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो न केवल सरकार को बल्कि आम लोगों को भी प्रदूषण कम करने के लिए प्रेरित करता है।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय पर्यावरण के प्रति उसकी गहरी चिंता और लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है। दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने का यह प्रयास इस बात का संकेत है कि देश का न्यायिक तंत्र पर्यावरण संरक्षण के प्रति कितनी गंभीरता से विचार करता है।

अगर सरकारें और जनता इस दिशा में प्रयासरत रहें, तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता को बेहतर किया जा सकता है। पटाखों के बिना भी दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए सरकार को जनता के बीच जागरूकता फैलानी होगी और उन्हें इसके महत्व के बारे में समझाना होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह प्रयास एक नई दिशा की ओर इशारा करता है, जो आने वाले समय में दिल्ली के प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है।

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